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राव उमराव सिंह गूर्जर

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राव उमराव सिंह गूर्जर राव उमराव सिंह भाटी दादरी बुलन्दशहर उत्तर प्रदेश के समीप कठैड़ा गांव के निवासी थे। सन् 1857 ई0 की क्रान्ति में इन्होने अन्य गुर्जरों की तरह बढ़ चढ़ कर भाग लिया था। राव उमराव सिंह भाटी ने 1857 की क्रान्ति में वही काम किया जो जलती अग्नि में घी का काम करता है। उन्होनें राजा की उपाधि ब्रिटिश सरकार को लौटा दी और पेंशन छोड़ कर भाटी,कपासिया,खटाणा,नागंड़ी,विधुड़ी,डेढिए आदि गुर्जर खानों के साथ इस क्रान्ति में शरीक होकर इनका नेतृत्व किया। इन क्रान्तिकारी गुर्जरों ने बुलन्दशहर की जेल तोड़ दी और थाने,कचहरी,डाक बंगले सब जला दिए । छावनियों को लूट कर बर्बाद कर दिया और बुलन्दशहर में राज्य व्यवस्था एकदम भंग कर दी । तत्कालीन कलैक्टर साप्टे बुलन्दशहर छोड़ कर भाग गया था और मेरठ में जा कर शरण ली। बाद में उसने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था कि मेरठ में गदर होते ही गूर्जरों के सारे गांव बागी हो गए। कठैड़ा गांव के राव उमराव सिंह ने अपने को राजा घोषित कर दिया और दिल्ली से सम्बन्ध स्थापित कर लिए । साप्टे ने यह भी लिखा था दादरी के आसपास के गूर्जरों का अफसर उमराव सिंह तो दनकौर के गूर्ज