Sunday 6 October 2024

गुर्जरदेश या राजपुताना

 उत्तर में सतलज से दक्षिण में नर्मदा तक के प्रदेश गुर्जरात्रा के अधीन थे।इसमें प्राचीन जांगल देश ,जांगल कूप,दुर्ग,नागौर ,शाकम्बरी ,पुष्कर,मंडोर, मरुदेश,वलमण्डल,माडा, मारवाड़,आबुमण्डल,वंसत गढ़,जालोर,भीनमाल,आनर्त,बड़नगर,खेड़ानगर(ब्रह्मखेड़ा)स्वभृघाटी,महीघाटी, अनुपप्रदेश, नर्मदाघाटी,लाट देश,ताप्ति घाटी ,सौराष्ट्र,काठियावाड़, कछ का रण आदि सम्मिलित थे।

इसी गुजरात्रा का दक्षिणी भाग कालांतर में गुर्जर मण्डल,गुर्जरदेश,गुर्जर भूमि,एवम अंत मे गुजरात कहलाया।
गुर्जरात्रा का उत्तरी भाग गुर्जरभूमि, गुर्जर मण्डल,एवम गुर्जरात्रा ही रहा।
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के विखण्डन के बाद गुर्जरात्रा में अनेक छोटे छोटे प्रान्तों को लेकर अनेक राज्य स्थापित हुए तथा इस प्रदेश के छोटे छोटे प्रदेशो के अलग अलग नाम पड़े जैसे मारवाड़, मेदपाट(मेवाड़ा),बागड़, तथा भड़ानप्रदेश आदि।
इनके साथ कुछ प्राचीन नामो वाले प्रदेश जैसे जांगल देश,अनन्त देश,मत्स्य देश ,मरुदेश,वलमण्डल,माडा, अबुर्द देश ,पेरियात्र, मालवा, आदि प्राचीन नामो से ही गुर्जरात्रा के अंग बने रहे।
बी न पूरी ने हिस्ट्री ऑफ गुर्जर प्रतिहार में लिखा है गुर्जरात्रा का अर्थ गुर्जरो के अधीन प्रदेश से है।गुर्जर क्षत्रियो का निवास एवम राज्य प्रदेश ही गुर्जरात्रा कहलाया।
कर्नल टॉड ने गुर्जरात्रा का नाम रॉयस्थान (राजस्थान)दिया है।बाद में यही राजपुताना हो गया।
Km मुंशी ने मंडोर के गुर्जर राज्य एवम नान्दीपुर (भड़ौच)गुर्जर राज्य का भी ब्याख्यान किया है।

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