Sunday 6 October 2024

राजपूतों की उत्पत्ति,राजपूताना,राजपूत ,राजपूतसमाज,राजपूतानापरिवार

मृगमायनी नाम की कोई गुर्जर महिला नहीं थी।
झूठा प्रचार करके एक काल्पनिक कहानी घडी गई।
*हरिहरनिवास दिवेदी की किताब ग्वालियर के तोमर के पेज 134 पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है की मान सिंह तोमर और मृगनयनी की कहानी एक जनश्रुति ( अफ़वाह ) है। ऐसा कोई भी ऐतिहासिक साक्ष्य या प्रमाण नहीं मिलता जिससे ये पता की राजा मान सिंह तोमर की कोई मृगनयनी नाम की रानी थी। मृगनयनी के बारे में किसी भी समकालीन कवि ने भी नहीं लिखा है इसलिए ये सिर्फ काल्पनिक बात है।*
सबसे पहले 1950 ईसवी में वृन्दावन लाल वर्मा ने मृगनयनी नाम का उपन्यास लिखा उससे पहले मृगनयनी नाम कहीं नहीं लिखा है ना किसी ऐतिहासिक साक्ष्य में और ना ही कहीं समकालीन साहित्य में। मृगनयनी की कहानी मात्र एक जनश्रुति ( अफ़वाह ) है।
*जिस प्रकार हिसार के गुर्जर महल को झूठी कहानी बनाकर गुजरी महल बता कर के प्रचारित करा गया जबकि सच्चाई यह है कि फिरोज़ शाह तुगलक की मां भाटी राजपूत थी और उसकी प्रेमिका जो बाद में उसकी पत्नी बनी टांक राजपूत थी । ग्वालियर का गुजरी महल असल में गुर्जर महल है ये ग्वालियर का किला गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज ने अपने शासनकाल में बनवाया था । अगर इस किले की पोटेशियम आर्गन डेटिंग की जाए तो सच्चाई दुनिया के सामने आ जाएगी की ये किला कितना पुराना है और ये कब बना । ग्वालियर के किले पर बना चतुर्भुज मंदिर तेली का मंदिर दोनों गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज के शासनकाल में बनवाए गए और गुर्जर प्रतिहार वास्तुकला के जीते जागते उदाहरण है । पहले किला या घर बनवाया जाता है उसके बाद उसके अंदर मंदिर बनवाया जाता है । हिसार के गुर्जर महल की तरह ही ग्वालियर के गुर्जर महल को गुजरी महल बता कर के झूठ फैलाया गया।*
*1232 ईसवी से ही ग्वालियर दिल्ली सल्तनत के अधीन रहा। दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा ग्वालियर क्षेत्र को अपने अधीन करने के बाद ग्वालियर के आसपास राजपूत तोमरों का उदय हुआ। 14वीं शताब्दी में, उन्होंने दिल्ली के तुगलक शासकों के सामंतों के रूप में कार्य किया। उन्होंने एक जागीर रखी, जो अब मुरैना जिले में अंबा के पास एक गाँव है। उन्होंने 1380 तक फिरोज शाह तुगलक को सैन्य सेवा प्रदान की। 1451 ईसवी में दिल्ली सल्तनत पर बहलोल लोदी का अधिकार हो गया और उसने 1489 ईसवी तक राज किया ।*
1486 ईसवी में जब मान सिंह तोमर ग्वालियर का राजा बना तो दिल्ली सल्तनत के बहलोल लोदी ने उसपर आक्रमण कर दिया उस समय मान सिंह तोमर ने बहलोल लोदी को 800,000 टंकों (सिक्कों) की श्रद्धांजलि देकर युद्ध से बचने का फैसला किया। 1500 ईसवी में जब बहलोल लोदी का बेटा सिकंदर लोदी (निज़ाम खान ) सुल्तान था तो मान सिंह तोमर ने अपने बेटे विक्रमादित्य तोमर राजपूत के हाथो बयाना में सिकंदर लोदी के पास उपहार पहुंचाए थे जिससे की वो ग्वालियर पर आक्रमण ना करे। सिकंदर लोदी ने नरवर क्षेत्र पर अधिकार कर लिया जिससे की मेवाड़ से मान सिंह तोमर को कोई मदद ना मिल सके और उसने उस क्षेत्र पर राज सिंह कछवाहा राजपूत को अपना जागीरदार बना दिया।
*1517 ईसवी में दिल्ली सल्तनत पर सिकंदर लोदी का बेटा इब्राहिम लोदी सुलतान बना 1523 ईसवी में उसने ग्वालियर पर धावा बोल दिया उस समय ग्वालियर पर मान सिंह तोमर का बेटा विक्रमादित्य राजा था। राजपूत राजा विक्रमादित्य तोमर ने इब्राहिम लोदी से संधि कर ली एवं उसको 7 मन सोना (280 किलो सोना ) , श्याम सुन्दर हाथी और अपनी पुत्री (बेटी) सुलतान इब्राहिम लोदी को देना स्वीकार किया। इब्राहिम लोदी ने विक्रमादित्य तोमर के सामने ये भी शर्त रखी की ग्वालियर का गढ़ छोड़ दो और शमशाबाद की जागीर लेलो। इब्राहिम लोदी ने विक्रमादित्य तोमर को साथ में धन संपत्ति और रनिवास ले जाने की अनुमति दे दी।*
*20 अप्रैल 1526 ईसवी को पानीपत की लड़ाई में बाबर से लड़ते हुए दामाद इब्राहिम लोदी और उसके ससुर विक्रमादित्य तोमर की मृत्यु हो गई।*
हम कुछ किताबो के पन्ने साथ में दे रहे है और ये सब इतिहास आप विस्तार से इन किताबो में पढ़ सकते हो
*ग्वालियर के तोमर - लेखक - हरिहर निवास दिवेदी - पेज नंबर 134 से 178*
*Twilight of the Sultanate: A Political, Social and Cultural History of the Sultanate of Delhi from the Invasion of Timur to the Conquest of Babur 1398-1526 - Writer -Kishori Saran Lal - Page No - 155 से 206*
*तारिक़ ऐ फरिश्ता पेज नंबर 568*
Post sabhar डॉ सुनील गुर्जर #gurjarsamratmihirbhoj #Rajput #Gurjar #history #HiddenTruths #Gwalior

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