Sunday, 6 October 2024

राजपूतों की उत्पत्ति

 राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे इतिहास में कई मत प्रचलित हैं।

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि राजपूत संस्कृत के राजपुत्र शब्द का अपभ्रंश है;राजपुत्र शब्द हिन्दू धर्म ग्रंथों में कई स्थानों पर देखने को मिल जायेगा लेकिन वह जातिसूचक के रूप में नही होता अपितु संबोधन सूचक शब्द के रूप में होता है इसके लिये ज्योतिषाचार्य श्री रजनीकांत शास्त्री जी बताते हैं कि हिंदू धर्म ग्रंथों में राजपुत्र शब्द अवश्य आया है पर किसी जाति विशेष के अर्थ में नहीं; बल्कि राजकुमार के अर्थ में...
लेकिन थोड़ा अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि पुराणों में एक स्थान पर राजपुत्र जातिसूचक शब्द के रूप में आया है जो कि इस प्रकार है-
क्षत्रात्करणकन्यायां राजपुत्रो बभूव ह।
राजपुत्र्यां तु करणादागरीति प्रकीर्तितः।।
~ब्रह्मवैवर्तपुराणम्/खण्डः १ (ब्रह्मखण्डः)/अध्यायः १०/श्लोकः ११०
भावार्थ:- क्षत्रिय से करण-कन्या(वैश्य पुरुष और शूद्र कन्या से उतपन्न) में राजपुत्र और राजपुत्र की कन्या में करण द्वारा 'आगरी' उतपन्न हुआ।
राजपुत्र के क्षत्रिय पुरुष द्वारा करण कन्या के गर्भ में उतपन्न होने का वर्णन शब्दकपद्रुम में भी आया है- "करणकन्यायां क्षत्त्रियाज्जातश्च । इति पुराणम् ॥"
अर्थात:- क्षत्रिय पुरुष द्वारा करण कन्या में उतपन्न संतान...
सूर्यवंशी इंद्रजीत प्रतिहार गुर्जर

No comments:

Post a Comment

1857 की जनक्रांति

  1857 की जनक्रांति के जनक कोतवाल धनसिंह गुर्जर पर इतिहास लेखन: (डॉ सुशील भाटी) 10 मई 1857 को मेरठ से, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरोध में, शु...