गुर्जर जाति के बसने के कारण ही गुजरात नाम पड़ा।
यह लेख मैंने कई पत्रिकाओं को भी भेजा है।
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पाकिस्तान के पंजाब में भी गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र को गुजरात कहा गया है,तो सहारनपुर में भी गुजरात है जो गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है। तथा भारत के पश्चिमी तट पर गुजरात राज्य विद्यमान हैं वहीं पश्चिम बंगाल में भी गुर्जरपुर बसा है।अनेक पुस्तकों में ग्वालियर को गुर्जरगढ़ लिखा है।कई ऐतिहासिक किलों को गुर्जर गढ़ लिखा गया है।
" गतो दशरथः स्वर्ग योनो गुरूतरो गुरूः "
“गुर्जरानीकनाशेन गुर्जरीकेशलुश्चनम ।
विहितं तडगणातडगनासिडगशतै रणै ।। "
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर कुछ विकृत मानसिकता के लोगों द्वारा यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया कि गुर्जर शब्द एक स्थान वाचक है ना कि जाति वाचक। उन्होंने भ्रामक प्रचार करने के असफल प्रयास किए।
सत्य परेशान हो सकता है परंतु पराजित नहीं।
मैं कुछ पुस्तकों, ग्रंथों, दस्तावेज़ आदि के साक्ष्य आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ। जिनमें स्पष्ट तौर पर गुर्जर जाति के होने एवं इसी जाति के विद्यमान और शासित होने के कारण ही गुजरात आदि नाम अस्तित्व में आने के उल्लेख है।
सर्वविदित है कि अरब हमलावरो से लगभग 300 वर्षों तक हिन्दुस्तान को बचाये रखने वाले “गुर्जर प्रतिहार “ वंश के सम्राटों को विभिन्न समकालीन ग्रंथों, इतिहास की पुस्तकों,गज़ेटियर,शिलालेख व ताम्रपत्रों मे गुर्जर ही लिखा है।और गुर्जर जाति के बसे होने के कारण ही गुजरात,गुर्जर मण्डल, गुर्जरदेश, गुर्जरात्रा , गुर्जरराष्ट्रा , गुर्जरभूमि , गुजराँवाला, गुर्जरगढ़, गूजरखान , गुर्जरपुर ,गूजरडेरा , गुर्जर क़िला आदि नाम पड़े।
विभिन्न पुस्तकों ,दस्तावेज़ों ,अभिलेखों , ग्रंथों आदि में गुर्जर संबंधित दिए गए विवरण इस प्रकार है :-
(1) Gazetteer of the Bombay Presidency, Vol. 9 , Part 1.
इस गज़ेटियर के पेज नंबर 469 - 502 तक Appendix B. मे “The Gujar” अध्याय हैं। इस अध्याय में गुर्जर जाति के उत्पत्ति,शासक ,गोत्र, प्रवास का ज़िक्र है। साथ ही गुर्जर शब्द का अर्थ बताया गया है कि गुर्जर या गूजर एक जाति है। और गुर्जरों से ही राजपूत के कई वंश की उत्पत्ति है।
साथ ही बताया गया कि गुर्जरों की उपाधि “मिहिर “ भी है। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज (836-885 ई.) को गुर्जर या गूजर राजा बताया गया है। साथ ही लिखा है कि सहारनपुर में गुजरात है और पंजाब में भी गुजरात है और ग्वालियर में गुर्जर गढ़, पंजाब के गुजराँवाला आदि का वर्णन किया है।
(2) बॉम्बे गज़ेटियर - खंड -1 भाग -1 अध्याय 1 मे लिखा है कि प्राकृत भाषा में गुर्जरात्रा व संस्कृत भाषा में गुर्जराष्ट्रा शब्द को आधुनिक गुजरात के लिए प्रयोग किया गया है। गुर्जर जाति के यहाँ बसे होने के कारण ही इसका नाम गुजरात हुआ। यह गुर्जरों के देश के लिए भी प्रयोग किया गया है। संस्कृत पुस्तकों और शिलालेखों में गुर्जरमण्डल व गुर्जरदेश गुर्जरभूमि का प्रयोग गुर्जरों की भूमि के लिए ही प्रयोग किया जाता है।
(3) Imperial Gazetteer of India, Central India वर्ष 1908
पेज नंबर 18 में लिखा है कि पाँचवीं,छठी शताब्दी में मे गुर्जर (Gurjara) जाति ने मध्य एशिया से प्रवेश किया आठवीं शताब्दी तक गुर्जर जाति के राजपूताना और पश्चिमी हिस्से बसे होने के कारण गुजरात कहा जाने लगा।
बुंदेलखंड व मालवा के परिहार व परमार राजपूत भी गुर्जर वंश से है। गुर्जर सम्राट मिहिर भोज 885 ई. में मृत्यू के बाद गुर्जर साम्राज्य बिखर गया।
(4) Saharanpur Gazetteer Vol. 2 , 1921
पेज नंबर 101 पर लिखा:- The Gurjaras are identical with the Gurjar, Gujar of the old days the ancestor of the modern parihar Rajput. Saharanpur was commonly known as Gujarat.
(5) Jalaun Gazetteer Vol. 25 , 1909
पेज नंबर 115 पर लिखा है कि 500 ई. में जब तोरमन और मिहिरकुल शासन कर रहे थे तब गुर्जर (Gurjar) आसपास के क्षेत्रों में आकर बस गये।
(6) The Tribes and Castes of the Central Provinces of India, Vol. 3 , 1916
पेज नंबर 166-75 तक गुर्जर जाति के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। जिसमें बताया गया है कि गुर्जरों के बसने के कारण ही गुजरात, गुजराँवाला, और ग्वालियर के गुर्जर गढ़ आदि का नामकरण इसी जाति के नाम पर हुआ। स्पष्ट किया गया कि Gujar or Gurjara शब्द गूजर जाति के लिए प्रयोग किये जाते है। जो पूरानी जाति है। इसी जाति के राजा मिहिरभोज (840-90) को गुर्जर प्रतिहार संबोधित किया तथा बताया कि प्रतिहार व परिहार भी गुर्जर जाति के लिए संबोधन किए जाते है। स्पष्ट किया है कि Partihara( Parihar) Clan of Gurjara Tribe of Cast and consequently known clan of Parihar Rajput is a branch of Gurjara or Gujar Stock.
(7) हिमाचल प्रदेश सरकार के Planning Department,Shimla,1710002 ने गुर्जरों पर एक सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट तैयार की,यह रिपोर्ट आज भी संबंधित विभाग के वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसमें लिखा है कि गुर्जर एक लड़ाकू क्षत्रिय जाति है , गुर्जर की उपाधि मिहिर भी है।
गुर्जर,गुज्जर,गूजर का शाब्दिक अर्थ एक ही है। गुर्जर,गूजर जाति के लोगों के बसने के स्थान को गुजरात,गुजराँवाला,गुर्जरदेश आदि कहा गया है।
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सिक्ख गुर्जरों पर UNESCO की Global Prayer Digest-2011 की रिपोर्ट में गुर्जरों को क्षत्रिय बता कर उत्पत्ति का भी विवरण दिया है। तथा यह भी बताया है कि गुजरात नामक स्थान का नामकरण गुर्जर जाति के बसने के कारण हुआ है।
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(9) Linguistic Survey of India Vol. 9 , Indo - Aryan Family, Central Group,Part 4
पेज नंबर 8-16 पर “The Gurjara “ शीर्षक से गुर्जर जाति के बारे में बताया गया है कि गुर्जर या गुज्जर, गूजर शब्द गुर्जर जाति के लिए प्रयोग किये गये हैं। गुजरात, गुजराँवाला आदि स्थानों का नाम गुर्जर जाति के विध्यमान होने पर यह नामकरण हुआ। गुर्जर का शाब्दिक अर्थ शत्रु विनाशक बताया है। गुर्जरों को देश के विभिन्न हिस्सों में बसाया बताया। गुर्जर शासकों नागभट्ट, वत्सराज,,व्याग्रहामुख, कन्नौज के राजा मिहिरभोज (840-90) को गुर्जर जाति से बताया। गुर्जरों द्वारा गुर्जरी भाषा का विस्तृत विवरण दिया है। तथा प्रतिहार व परिहार एवं परमार को भी गुर्जर जाति का होना बताया है।
(10) Jat ,Gujar and Ahir ,
A Martial Race रिपोर्ट मे A H BIngley
लेखक ने पेज नंबर 7 पर , गुर्जर जाति के उत्पत्ति संबंधी विवरण दिए हैं। बताया कि गुर्जरों ने दक्षिण में सिन्धु घाटी में स्थापित होकर सौराष्ट्र बसाया जिसे तब गुजरात कहा जाने लगा। काबुल ,कंधार ,कश्मीर, उत्तरी पंजाब बसे गुर्जरों के स्थान को गुजराँवाला व गुजरात और गुर्जरदेश कहा गया।
(11) The Gurjara Pratihara and Their Times- लेखक VB Mishra पेज 2 पर लिखते हैं कि गु्र्जरात्रा की आधुनिक पहचान गुजरात है। गुरजरात्रा गुजरात के लिए प्रयोग नहीं किया गया बल्कि यह एक अवधि ( 8-12 शताब्दी) के लिए है , जब यहाँ गुर्जरों का राज था।
(12) The History of Gurjar Pratiharas - लेखक BN Puri ने प्रस्तावना में ही लिखा है कि कन्नौज के प्रतिहार मूल रूप से गुर्जर जाति से थे। उन्हें अनेक राजाओं ने गुर्जर कह कर संबोधित किया है। उनके द्वारा शासित प्रदेश को गुर्जरात्रा कहा गया तथा गुर्जरों के रहने के कारण ही गुजरात नाम पड़ा।
(13) The Poison In The Gift -लेखक-Gloria Goodwin Rahja ने पेज नंबर 1 पर लिखा है कि गुर्जर एक प्रमुख भूमिधारी जाति है। 19 वीं शती के ब्रिटिश रिकार्ड्स हमें बताते हैं कि सहारनपुर ज़िले के एक बड़े भूभाग को गुजरात कहते थे। क्योंकि यहाँ गुर्जर की बहुलता है। गंगोह,नकूड, रामपुर के परगना और मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के सीमावर्ती क्षेत्रों को भी गुजरात के नाम से पहचानते हैं।
(14 The Gujar Settlement -लेखक - DS Manku ने पेज नंबर 3और 4 पर लिखा है कि गुर्जर शब्द संस्कृत से बना है , गुर्जर एक जनजाति है जो माउंट आबू राजस्थान के आसपास रहने वाले लोगों से यह नाम उस भूमि पर स्थानांतरित कर दिया गया जहां वे पहले बसे थे। जिनका हम गुजरात,गुर्जरात्रा , गुर्जरभूमि से उल्लेख करते हैं। तथा पंजाब में गुजरात,गुजराँवाला,गूजरखान के नाम के साथ अभी भी गुर्जर जुड़ा है।
(15) Developing Gujarat- लेखक- H R Patankar , Kirit Shelot (IAS) - इस पुस्तक का विमोचन तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री विजय रूपानी ने किया। तथा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी इसमें शुभकामनां संदेश लिखा है। इस पुस्तक में लिखा है कि गुजरात का नाम यहाँ पर बसने वाली गुर्जर जाति के नाम पर पड़ा है। जो कालांतर में पंजाब से चलकर यहाँ आकर बस गई।
(16) History of Ancient India- लेखक- R S Chaurasiya पेज 206 पर लिखते हैं कि - : गुर्जर शब्द प्रतिहार के साथ संबंधित है जो मध्य एशिया की एक गुर्जर जाति है। लेकिन अनेक इतिहासकार इन्हें हिन्दुस्तान की गुर्जर जाति ही मानते हैं। ये लक्ष्मण के वंशज है। इस लिए इन्हें प्रतिहार कहा गया। गुर्जर जाति के नाम पर ही गुजरात नाम पड़ा।
जिन अन्य पुस्तकों व दस्तावेज़ों में गुर्जरों की उत्पत्ति,गुर्जर जाति व गुर्जर,गूजर,गुज्जर शब्द का एक ही अर्थ है। तथा गुर्जर जाति के शासकों के वर्णन है। व गुर्जर जाति के बसने के कारण ही गुजरात व गुजराँवाला जैसे अनेकों स्थानों के नाम पड़े उनका विवरण इस प्रकार है।
1. भारत का इतिहास- लेखक- डा. गोपाल प्रसाद, कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी
2. Ashort History of India:- (W H Moreland) pg no. 114
3. Cambridge History of India:-(Allan J ) pg 104.
4. Comprehensive History of India,part 1. Pg 49 & 141.
5. Early History of India, 4th Edition:-(V A Smith) pg 4-5 , 427-28
6. Al-Hind :-(Andre Wink) pg 277-303.
7. The Gurjara Pratihar and Their Times:-(V B Mishra) pg 29
8. History of India part 1 :- (R D Mukharji) pg 140-41.
9. D R Bhandarkar Volume. Edited by Bimla Churn Law.
10. Ancient India and South Indian History & Culture. :-(Dr. S Krishanasvami Aiyangar) pg 326-370
11. Indian Village Community:-(B H Baden -Powell)pg 101-102.
12. मध्य क़ालीन भारत:-( हरिश्चंद्र वर्मा) पेज 5-17
13. भारत का इतिहास- लेखक- को. अ. अतोनोवा , ग्रि. ग्रि. कोतोव्सकी , ग्रि. म. बोगर्द
14. History of Kanauj :- R S Tripathi) ph 78, 110,191,221-22,226-27,241,267,271,274.
15. जाति व्यवस्था:-(सच्चिदानन्द सिन्हा) पेज 84-85
16. प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत का इतिहास। :- डा. कमल भारद्वाज।
17. जाति व्यवस्था:( नर्मदेशवर प्रसाद) पेज 43,74,75
18. प्राचीन भारत का इतिहास- लेखक- पुरुषोत्तम लाल भार्गव, अध्यक्ष संस्कृत विभाग, जयपुर यूनिवर्सिटी।
19. The Art under The Gurjar Pratihar- लेखक- ब्रिजेश कृष्ण
20. भारतीय इतिहास का पूर्व मध्य युग- लेखक- सत्यकेतु विद्यालंकार
21. Origin and History Of Jats & Other Allied Nomadic Tribes of India- लेखक B S Nijjar
22. Martial Races of Undivided India- लेखक- V P Tyagi
23. Interpreting Medieval India - लेखक- विपुल सिंह
24. देवनारायण बगडावत महागाथा-लेखक - लक्ष्मी कुमारी चुंडावत (पद्मश्री, सांसद 1962-79) लेखिका राजपूत जाति और राजघराने से संबंध रखती है। इन्होंने इस पुस्तक में बगडावत चौहान को गुर्जर लिखा है तथा बताया है कि गुर्जर जाति के बसे होने के कारण गुजरात , गुजराँवाला नाम पड़े हैं।
25. गुजरात सरकार की सरकारी वेबसाइट CMOgujrat .gov.in तथा dgfasli.gov.in पर स्पष्ट लिखा है कि गुजरात का नाम गुर्जर जाति के के बसे होने के कारण पड़ा। यहाँ बहुतायत में गुर्जर लोग बसे होने पर ही इस राज्य का नाम गुजरात पड़ा।
26. विदेशी यायावर इतिहासकारों के विवरण :- अरब यात्रियों सुलेमान, अलमसूदी इन्ने खुर्दाद, अबू जैदद , बालाघूरी आदि ने कन्नौज के गुर्जर सम्राटों क गुर्जर इसलिए कहा लिखा है कि ये गुर्जरजाति के सम्राट समस्त उत्तर भारत के सम्राट थे। और इनकी तत्कालीन राजधानी कन्नौज नगरी जो गुर्जर देश से बहुत दूर वर्तमान उत्तर प्रदेश में थी। प्रसिद्ध अरब इतिहासकार अलबरूनी ने वर्तमान राजपूताना में गुजरात का उल्लेख किया है।क्योंकि अलबरूनी (1024-40 ईस्वी) तक वर्तमान राजस्थान मुख्यतः गुर्जर देश या गुर्जरात्रा कहलाता था।
"
" शब्द कल्पद्रुम “ ग्रंथ मे गुर्जर शब्द की व्याख्या की है कि शत्रुओं के ताडन-मारण-विनाश से जो रक्षा करने वाले साहसी है वे गुर्जर कहलाते है ।
गुर्जर भारतवर्ष की अखंडता ओर सुरक्षा के लिये सदैव तत्पर रहे है।
आर्यावर्त अथवा अखंड भारत के भीतरी कलह को शांत करने ओर इसकी सीमाओं की रक्षा हेतु गुर्जरो का महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।
“योग वशिष्ठ” के सर्ग 35 छंद 19 में
देवताओ ओर दैत्यों के आपसी कलह मे महाराजा दशरथ की ओर से दैत्यों के उधम को मिटाने मे वीरगति को प्राप्त होने वाले गुर्जरो की स्त्रियों का अपने केशों को लच्छन ( बाल कटवाना ) करवा कर शोक प्रकट करने का वर्णन मिलता
" गुर्जरानीकनाशेन गुर्जरीकेशलुश्चनम ।
विहितं तडगणातडगनासिडगशतै रणै ।। "
वाल्मीकि रामायण मे आया है ।
" गतो दशरथः स्वर्ग योनो गुरूतरो गुरूः "
अर्थात महाराजा दशरथ जो हम गुर्जरो मे महान थे स्वर्ग सिधार गये ।
पुरातत्ववेता पंडित छोटे लाल शर्मा ने भी अपनी पुस्तक “ क्षत्रिय
वंश प्रदीप “ के पृष्ठ - 812 पर यह वर्णन करते हुए लिखा है।
" आर्यो दवारा बडे से बडे व्यक्तियो बलवान से बलवान व्यक्तियो, गुरू से बडे व्यक्तियो के लिए "गुरूतर शब्द " प्रयुक्त किया जाता था । यही गुरूतर शब्द क्षत्रियो के लिए भी प्रयुक्त होता था ।
गुरूतर शब्द का अर्थ गुरु से अलग विशेषता - बलवान, वीर, चातुर्य, लडाकू आदि रखने वाला व्यक्ति है।
ये गुण क्षत्रियो मे होते थे तथा क्षत्रियो के लिए गुरूतर शब्द प्रयुक्त होता था ।
कालांतर मे यही गुरूतर शब्द ही गुर्जर शब्द बना ।
जिन लोगों को गुर्जर शब्द स्थान वाचक शब्द लगे जरा बाल्मीकि रामायण को आंखे खोल कर पढ़े गुर्जरों का इतिहास सब समझ आ जायेगा। ( पुरातत्व विशारद पंडित छोटेलाल शर्मा, क्षत्रिय वंश प्रदीप )
प्रमुख ताम्रपत्र में जिनमें गुर्जर जाति का विवरण है। संक्षेप में विवरण देता हूँ।
1. सज्जन ताम्रपत्र
2. बड़ौदा ताम्रपत्र
3. माने ताम्रपत्र
4. बामुग्रा ताम्रपत्र महिपाल (915) को दहाड़ता गुर्जर कहा है।
5. खजुराहो अभिलेख (925-50)यशोवर्मन को प्रतिहारों के लिए झंझावत व गुर्जरों के लिए अग्नि के समान बताया है।
शिलालेख
1. करडाह
2. राधनपुर
3. नीलगुण्ड
4. देवली
5. बादल स्तम्भ लेख के श्लोक नंबर 13 मे गुर्जर राजा, गुर्जर नाथ का वर्णन है।
6. सिरूर शिलालेख यह शिलालेख गोविन्दा -3 व गुर्जर नागभट्ट -2 के युद्ध का वर्णन है जिसमें नागभट्ट को गुर्जरान ,,गुर्जर राजा,गुर्जर सैनिक,गुर्जर जाति,गुर्जर राज्य का उल्लेख है।
राजौर के अभिलेखों में कन्नौज व उज्जैन के प्रतिहार को गुर्जर कहा है।
7. चन्देल शिलालेखों में गुर्जर प्रतिहार कहा है।
8. ऐहोल ,नवसारी शिलालेखों में इन्हें गुर्जेश्वर कहा है।
9. जोधपुर व घटियाला के शिलालेख से प्रकट होता है कि गुर्जर प्रतिहार का मूलस्थान गुर्जरात्र था।
10. राजौर के अभिलेख में कन्नौज व उज्जैन के प्रतिहार वंश को गुर्जर कहा है।
ग्रंथों में गुर्जर विवरण।
1. कवि पम्पा द्वारा लिखित “विक्रमार्जुन विजय” में तत्कालीन गुर्जर प्रतिहार सम्राट महिपाल (912-44) को गुर्जर राजा कहा है।
2. अरब यात्री अलमसूदी (915ई.) भारत यात्रा के दौरान सम्राट महिपाल के दरबार में रहा। उसने “मजरूल- जुहाब नामक ग्रंथ लिखा उसने महिपाल को वोरा व इस वंश को अल-जुर्ज (गुर्जर) कहा है।
3. कल्हण के बारहवीं सदी में लिखे ग्रंथ राजतरंगिणी प्रतिहार को गुर्जर कहा है।
4. स्कन्ध पुराण के प्रभास खंड में वर्णन है। मार्कण्डेय पुराण व पंचतंत्र में भी गुर्जर जन जाति के प्रमाण है।
5. हर्षचरित में लेखक बाण ने भी गुर्जर जाति का वर्णन किया है।
6. मार्कण्डेय पुराण व पंचतंत्र में भी गुर्जर जनजाति के प्रमाण है।
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