वे पृथ्वीराज चौहान के ख़िलाफ़ और मोहम्मद गौरी के साथ साथ सेना लेकर चल रहे थे। पृथ्वीराज चौहान की हार होने पर उसे गिरफ्तार कराने वाले कौन थे वो ?
पृथ्वीराज चौहान के विरुद्ध और मलेच्छ आक्रांता “गौरी” का साथ देने वाले कौन थे वो ?
मलेच्छ मुग़ल अकबर के साले ,ससुर कौन थे वो ?
भारत की शान कहे जाने वाले महाराणा प्रताप के विरुद्ध लड़ने वाले कौन थे वो ?
मलेच्छ अकबर के पक्ष में महाराणा प्रताप से लड़ने वाले मलेच्छ अकबर के साले ,ससुर कौन थे वो ?
मलेच्छ अकबर से लेकर आख़िर मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र तक अपनी बेटियों के डोले भेजने वाले कौन थे वो ?
छत्रपति शिवाजी के विरुद्ध औरंगजेब की सेना के उपसेनापति और वे रजवाड़े जो मुग़ल दरबार के पालतू रहे, कौन थे वो ?
1757 मे प्लासी के युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला के विरुद्ध और फ़िरंगी लार्ड क्लाइव का साथ देने वाले कौन थे वो ?
1803 में अंग्रेजों के साथ मिलकर मराठों के विरुद्ध लड़ने वाले कौन थे वो ?
1848-49 में सिक्खों के विरुद्ध और फ़िरंगी सेना के साथ मिलकर लड़ने वाले कौन थे वो ?
1857 में अंग्रेजों के साथ मिलकर भारतीयों का नरसंहार करने वाले कौन थे वो ?
सन 1857 के हीरो तांत्या टोपे को धोखे से गिरफ्तार कराने वाले कौन थे। ?
सन 1857 मे फ़िरंगी मेटकाफ मजिस्ट्रेट दिल्ली को सुरक्षित निकालने वाले कौन थे ?
राजपूताने के समस्त राजा रजवाड़े,कश्मीर के राजा गुलाब सिंह, नेपाल के राजा जंगबहादुर , नाभा,जींद ,पटियाला, ग्वालियर,नरवर के राजा जो अंग्रेजों के साथ मिलकर 1857 में निर्दोष भारतीय जनता , किसानों का नरसंहार कर रहे थे कौन थे वो ?
जबकि 1857 मे आम जनता किसान जागीरदार छोटे व्यापारी व मज़दूर जी जान से अंग्रेजों को भारत से बाहर करने पर तुले थे
सन 1888 मे 1500 भील जाति के आदिवासियो को एक ही समय उसी स्थान पर मारने वाले कौन थे वो ?1921 मे एक साथ 1200 भील लोगों को मारने वाले कौन थे वो ? (इन घटनाओं का ज़िक्र कभी इतिहास में दर्ज होने ही नहीं दिया। ) [ मैंने नीचे पन्ने साझा किए हैं जिनमें इस घटना का ज़िक्र है पुस्तक का नाम राजस्थान का इतिहास लेखक बीएल पनगढिया व हरिदेव जोशी,भूतपूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान है]
उपरोक्त लिखी बातें श्री मान A H Bingley की पुस्तक “Rajput “ व “राजस्थान में स्वतंत्रता संग्राम” नामक पुस्तक:- लेखक बी एवं पनगढिया व हरिदेव जोशी (भूतपूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान) , तथा वीर सावरकर की पुस्तक “भारतीय स्वातंत्र्य समर” एवं “ भारत में अंग्रेज़ी राज “ लेखक सुन्दर लाल से
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