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ठाकुर यसपाल सिंह राजपूत

  गुर्जर आर्यो के क्षत्रिय वर्ण की मुख्य शाखाओं के क्षत्रिय (गुरुतर)गुर्जर है। गुर्जर का मतलब गुरु -शत्रु जर-विनाशक दूसरा अर्थ गुरु से बड़ा बलवान वीर ,व्यक्तियों के लिए गुरुतर शब्द प्रयोग किया गया। वाल्मीकि रामायण में राजा दसरथ के लिए गुरुतर शब्द प्रयोग किया गया इतिहासकारो के अनुसार यही कलांतर में गुरुतर से गुर्जर संस्कृत शब्द हो गया। गुर्जर संस्कृत मे गुज्जर ब्रिज भाषा मे गूजर हिंदी भाषा का शब्द है। भाषा के आधार पर भी आर्यो की भाषा संस्कृत थी।जिसका सरल रूप गूजरी भाषा है जिससे निकली राजस्थान भाषा,गुजराती भाषा ,बृज भाषा,इंडल, पिंगल और भी भारत की 60 प्रतिशत भाषाएं गुजरी भाषा से निकली है। एक ही वर्ण समय समय पर विभिन्न नामो से जाना जाता है। वैदिक उत्तर वैदिक काल मे आर्यो का जो वर्ण" क्षत्रिय "कहलाता था वही ईसा के बाद" गुर्जर "नाम से जाना जाने लगा। मुगलकाल और ब्रिटिश काल मे वही वर्ग राजपूत नाम से जाना जाने लगा। ठाकुर इतिहास कारो कि भाषा मे गुर्जर समाज का इतिहास 1-वर्ष 1932 में "गुर्जरो का प्रारंभिक इतिहास लिखा गया जिसकी भूमिका राजपूत कालेज आ

भटनेर

  12 बी शताब्दी में एक भाटी सरदार राव कौशल महाराजा गुर्जर सम्राट पृथवीराज चौहान का सेनापति था।दिल्ली के चारो और भाटी गुर्जरो की प्रचुर जनसंख्या थी।जिसके कारण ये क्षेत्र इतिहास में भटनेर कहलाया।जब यहाँ गुर्जरो की अधिक संख्या बढ़ी तो इस क्षेत्र का नाम गुजरात हुआ। 1398 ई में तैमूर लंग से गुर्जरो ने लोहा लिया जिसमे रामप्यारी चौहान गुर्जरी ने 40000 महिलाओं के साथ जिनमे सभी जाति की महिलाये थी।तैमूर की सेना को काट डाला और भारत से भागने पर मजबूर कर दिया।जिसमें महाराजा जोगराज पँवार और उनके जाट सेनापति ने भी अहम भूमिका निभाई थी। 16 बी शताब्दी में उन्होंने फिर उत्कृष्टता प्राप्त की ।परंतु बाबर जो कि 1526 में भारत आया था ।उसने गुर्जरो को दबा दिया। 18बी शताब्दी में फिर स्वाधीन हो गये।अन्तता अंग्रेजो ने पूर्व प्रमाण पत्रों के कारण उन्हें भूस्वामी स्वीकर कर लिया। कितना लड़ते रहे देश को बचाने की खातिर दूसरी तरफ गुर्जरो की जमीनें देश के जो गद्दार और चापलूसी करने वालो को दे दी गई। Refrence राजस्थान गजेटियर भाग 2 पेज 171। मेरठ गजेटियर पेज 156 Early हिस्ट्री ऑफ इंडिया 4 पेज 477 पर।

गुर्जरप्रतिहार

  गुर्जरप्रतिहार राजाओ द्वारा बनाये गए बटेश्वर मंदिर मुरैना मध्य प्रदेश जिसके पास वराह वली गॉव में मिहिर भोज आर्मी का अड्डा था।गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की 36 लाख की सेना थी जो 9 लाख प्रत्येक कोने पर भारत के तैनात रहती थी।