12 बी शताब्दी में एक भाटी सरदार राव कौशल महाराजा गुर्जर सम्राट पृथवीराज चौहान का सेनापति था।दिल्ली के चारो और भाटी गुर्जरो की प्रचुर जनसंख्या थी।जिसके कारण ये क्षेत्र इतिहास में भटनेर कहलाया।जब यहाँ गुर्जरो की अधिक संख्या बढ़ी तो इस क्षेत्र का नाम गुजरात हुआ।
1398 ई में तैमूर लंग से गुर्जरो ने लोहा लिया जिसमे रामप्यारी चौहान गुर्जरी ने 40000 महिलाओं के साथ जिनमे सभी जाति की महिलाये थी।तैमूर की सेना को काट डाला और भारत से भागने पर मजबूर कर दिया।जिसमें महाराजा जोगराज पँवार और उनके जाट सेनापति ने भी अहम भूमिका निभाई थी।
16 बी शताब्दी में उन्होंने फिर उत्कृष्टता प्राप्त की ।परंतु बाबर जो कि 1526 में भारत आया था ।उसने गुर्जरो को दबा दिया।
18बी शताब्दी में फिर स्वाधीन हो गये।अन्तता अंग्रेजो ने पूर्व प्रमाण पत्रों के कारण उन्हें भूस्वामी स्वीकर कर लिया।
कितना लड़ते रहे देश को बचाने की खातिर दूसरी तरफ गुर्जरो की जमीनें देश के जो गद्दार और चापलूसी करने वालो को दे दी गई।
Refrence
राजस्थान गजेटियर भाग 2 पेज 171।
मेरठ गजेटियर पेज 156
Early हिस्ट्री ऑफ इंडिया 4 पेज 477 पर।
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