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Showing posts from October, 2016

कर्नल जेम्स टोड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Inscription of Gurjar History by Rajput Historian James Tod

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कर्नल जेम्स टोड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Inscription of Gurjar History by Rajput Historian James Tod कर्नल जेम्स टोड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | INSCRIPTION OF GURJAR HISTORY BY RAJPUT HISTORIAN JAMES TOD  • कर्नल जेम्स टोड कहते है कि राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश अर्थात राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं। • प्राचीन काल से राजस्थान व गुजरात का नाम गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश, गुर्जराष्ट्र) था जो अंग्रेजी शासन मे गुर्जरदेश से बदलकर राजपूताना रखा गया।

पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God

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पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण पं बालकृष्ण गौड लिखते है कि जिसको कहते है रजपूति इतिहास तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई। पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God  • कर्नल जेम्स टोड कहते है कि राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश अर्थात राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं। • प्राचीन काल से राजस्थान व गुर्जरात का नाम गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश, गुर्जराष्ट्र) था जो अंग्रेजी शासन मे गुर्जरदेश स

गुर्जर सम्राट मिहिरकुल हूण | Gurjar Samrat Mihirkul hoon - The Great Emperor of Indian History

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गुर्जर सम्राट मिहिरकुल हूण | Gurjar Samrat Mihirkul hoon - The Great Emperor of Indian History गुर्जर सम्राट मिहिरकुल हूण  - गुर्जर हूण साम्राज्य के सबसे प्रतापी सम्राट Gurjar Samrat | Gurjar Hoon Empire | Mihirkul Hoon | Gujjar | Medieval History of India | Huna | Hun | Torman | Shiv Worshiper  Great Shiv Worshiper - Gurjar Samrat Mihirkul Hoon मध्य में, ४५० इसवी के लगभग, हूण गांधार इलाके के शासक थे, जब उन्होंने वहा से सारे सिन्धु घाटी प्रदेश को जीत लिया| कुछ समय बाद ही उन्होंने मारवाड और पश्चिमी राजस्थान के इलाके भी जीत लिए| ४९५ इसवी के लगभग हूणों ने तोरमाण के नेतृत्व में गुप्तो से पूर्वी मालवा छीन लिया| एरण, सागर जिले में वराह मूर्ति पर मिले तोरमाण के अभिलेख से इस बात की पुष्टि होती हैं| जैन ग्रन्थ कुवयमाल के अनुसार तोरमाण चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित पवैय्या नगरी से भारत पर शासन करता था| यह पवैय्या नगरी ग्वालियर के पास स्थित थी| तोरमाण के बाद उसका पुत्र मिहिरकुल हूणों का राजा बना| मिहिरकुल तोरमाण के सभी विजय अभियानों हमेशा उसके साथ रहता था| उसके शासन क

भोजेश्वर मंदिर | Bhojeshwar Mandir

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भोजेश्वर मंदिर | Bhojeshwar Mandir गुर्जर महाराजा भोज परमार का भोजेश्वर मंदिर  भोजेश्वर मंदिर | गुर्जर महाराजा | भोज परमार | परमार गुर्जर वंश | राजा भोज | भोजपुर | परमार वंश   भोजपुर शिव मंदिर | बेतवा नदी | पार्वती गुफा | गुर्जर प्रतिहार राजवंश भोजेश्वर मंदिर | राजा भोज भोजेश्वर मंदिर' मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 32 किलोमीटर की दूरी पर रायसेन ज़िले की गोहरगंज तहसील में है l इस मंदिर को यदि उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। भोजपुर गाँव में पहाड़ी पर यह विशाल शिव मंदिर स्थापित है। भोजपुर मंदिर तथा उसके शिवलिंग की स्थापना धार के प्रसिद्ध  गुर्जर महाराजा भोज परमार  द्वारा की गई थी। अत: गुर्जर महाराजा भोज के नाम पर ही इस स्थान को  भोजपुर  और मंदिर को  भोजपुर मंदिर  या 'भोजेश्वर मंदिर' कहा गया। बेतवा नदी के किनारे बना उच्च कोटि की वास्तुकला का यह नमूना राजा भोज के मुख्य वास्तुविद और अन्य विद्वान वास्तुविदों के सहयोग से तैयार हुआ। मन्दिर की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका चबूतरा 35 मीटर लम्बा है।भोजपुर के शिव म

गुर्जर सम्राट मिहिर भोज, भोजपुरी भाषा और भोजपुर (बिहार) के बीच का संबंध

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गुर्जर महाराजा भोज परमार | Gurjareshwar Raja Bhoj Parmar गुर्जर राजा भोज परमार  गुर्जरेश्वर | राजा भोज परमार | परमार वंश | भोज परमार । पंवार । भोजेश्वर मंदिर । महाराजा भोज परमार | इतिहास Raja Bhoj Parmar | राजा भोज परमार गुर्जर महाराजा भोज परमार मालवा के 'परमार' अथवा 'पवार वंश' का नौवाँ यशस्वी राजा था।परमार वंश  गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य  के अधीन गुर्जर वंश था।राजा भोज ने 1018-1060 ई. तक शासन किया। उसकी राजधानी  धार  थी। भोज परमार ने 'नवसाहसाक' अर्थात 'नव विक्रमादित्य' की पदवी धारण की थी। भोज ने बहुत-से युद्ध किए और पूर्णत: अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की, जिससे सिद्ध होता है कि उसमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उसके जीवन का अधिकांश समय युद्धक्षेत्र में बीता, तथापि उसने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। राजा भोज ने मालवा के नगरों व ग्रामों में बहुत-से मंदिर बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है। भोज स्वयं एक विद्वान था और कहा जाता है कि उसने धर्म, खगोल विद्या, कला, कोश रचना, भवन निर्माण, काव्य, औषधशास

गुर्जर सम्राट मिहिर भोज, भोजपुरी भाषा और भोजपुर (बिहार) के बीच का संबंध

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गुर्जर सम्राट मिहिर भोज, भोजपुरी भाषा और भोजपुर (बिहार) के बीच का संबंध गुर्जर सम्राट मिहिर भोज, भोजपुरी भाषा और भोजपुर (बिहार) के बीच का संबंध उगता भारत ब्यूरो | इतिहास के पन्नो से | स्वर्णिम इतिहास | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज | भोजपुरी भाषा और भोजपुर (बिहार) के बीच का संबंध | Gurjar Samrat Mihir Bhoj | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज भोजपुर,बिहार जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, भोजपुरी भाषा बोलने वाला सांस्कृतिक क्षेत्र है। बिहार के अलावा पूर्वी उत्तर-प्रदेश का कुछ क्षेत्र भी इस सांसकृतिक पॉकेट का अभिन्न हिस्सा है।बिहार शायद एक अनोखा राज्य है जो अपने अलग-अलग सांस्कृतिक भू-भागों में अलग-अलग सांस्कृतिक धरोहरों के लिए विख्यात है। भोजपुरी क्षेत्र निष्कर्षत: लोक-संस्कृति प्रधान रहा है। भोजपुर क्षेत्र की सीमा को विद्वानों ने उत्तर में हिमालय पर्वतमाला की तराई, दक्षिण मध्यप्रान्त का जसपुर राज्य, पूर्व में मुजफ्फपुर की उत्तरी-पश्चिमी भाग और पश्चिम में बस्ती तक के विस्तार को माना है। इस प्रकार इसका क्षेत्रफल लगभग पच्चास वर्गमील है। पृथ्वीसिंह मेहता अपनी पुस्तक बिहार एक ऐतिहासिक दिग्दर्शन में लिखते है कि ग

चंदेल गुर्जर वंश | History of Chandel Gurjar Dynasty

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चंदेल गुर्जर वंश | History of Chandel Gurjar Dynasty चन्देल गुर्जर वंश का इतिहास चंदेल | चंदीला | चन्देल वंश । भारतीय वंश । Chandel Dynasty | Chandila, Chandel Clan | History  चन्देल गुर्जर वंश मध्यकालीन भारत का प्रसिद्ध गुर्जर राजवंश था। जिसने 08वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच, बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चंदेल वंश के शासकों का बुंदेलखंड के इतिहास में विशेष योगदान रहा है। उन्‍होंने लगभग 400 साल तक बुंदेलखंड पर शासन किया। चन्देल गुर्जर शासको न केवल महान विजेता तथा सफल शासक थे, अपितु कला के प्रसार तथा संरक्षण में भी उनका महत्‍वपूर्ण योगदान रहा। चंदेल गुर्जरो का शासनकाल आमतौर पर बुंदेलखंड के शांति और समृद्धि के काल के रूप में याद किया जाता है। चंदेलकालीन स्‍थापत्‍य कला ने समूचे विश्‍व को प्रभावित किया उस दौरान वास्तुकला तथा मूर्तिकला अपने उत्‍कर्ष पर थी। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं खजुराहो के मंदिर। खजुराहो का कंदरीय महादेव मंदिर Khujrao Temple of Chandel Gurjar Dynasty | खुजराहो का मंदिर • उत्

गुर्जर सम्राट पुलकेशिन चालुक्या द्वितीय | Gurjar Samrat Pulkesin Chalukya

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गुर्जर सम्राट पुलकेशिन चालुक्या द्वितीय | Gurjar Samrat Pulkesin Chalukya गुर्जर सम्राट पुलकेशिन चालुक्य द्वितीय  गुर्जर सम्राट । पुलकेशिन । चालुक्या वंश । गुर्जर । गुर्जर देश । गुर्जरात्रा । गुजरात । सौलंकी  Gurjar Samrat Pulkesin Chalukya | चालुक्य सत्याश्रय, श्रीपृथ्वीवल्लभ , परमेश्वर परमभट्टारक जैसी उपाधियाँ पाने वाले यह गुर्जर सम्राट भारतीय इतिहास में एक महान शासक माने जाते हैं। इतिहासकारो का मानना है कि हूण गुर्जरो के विखण्डन से चालुक्य, प्रतिहार, चौहान, तंवर,चेची,सोलंकी,चप या चपराणा, चावडा आदि राजवंश व गुर्जर कुषाण साम्राज्य के विखण्डन से मैत्रक, गहलोत,परमार,हिन्दुशाही खटाणा, भाटी आदि नये राजवंश जन्म लेते हैं। गुर्जरो के इतिहास लेखक यानी भाट भी यहीं बताते हैं चालुक्य राजवंश भी गुर्जर हूण राजवंश की शाखा माना जाता है। चालुक्य साम्राज्य को ही सर्वप्रथम गुर्जरत्रा, गुर्जरात,गुर्जराष्ट्र व गुर्जर देश से सम्बोधित किया गया जो कि इनके गुर्जर होने का बडा प्रमाण है। चालुक्य राजवंश की नींव विष्णुवर्धन ने रखी। पुलकेशिन चालुक्य भी इसी राजवंश का सबसे महान शासक सिद्ध हुआ।

गुर्जरो का साम्राज्य (640 ई.) | Gurjar Empires in 640 A.D.

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गुर्जरो का साम्राज्य (640 ई.) | Gurjar Empires in 640 A.D. गुर्जरो का साम्राज्य  (640 ई.) Gurjar Empire at Harsha Times हर्ष के समय गुर्जरो का ही ऐसा राज्य था जो कि हर्ष के आदिपत्य से बाहर था मिस्टर ए.वी.हेवेल आर्यन रूल इन इंडिया के पृष्ठ  191 पर लिखते हे। " Before the end of his region.  Harsha 's  rule was suprime in Aryawat from sea to sea, as south as Narmada river.  Excepts over the Kingdom of GURJARS. Which included Rajasthan,Northan Gujrat and part of the Pun jab. " अनुवाद : " हर्ष का साम्राज्य तमाम आर्यावर्त मे फैल चुका था । समुद्र के एक किनारे से नर्मदा के दक्षिण तक हर्ष का ही राज्य था। सिर्फ राजस्थान, उत्तरीय  गुजरात व पजांब मे गुर्जरो का राज्य उससे बाहर था ।"

सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार

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राष्ट्ररक्षक वीर गुर्जर - सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार राष्ट्ररक्षक वीर गुर्जर  - सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार Gurjar Samrat Mihir Bhoj | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार राजाओ द्वारा अरब के प्रबल विरोध का ही ये परिणाम था कि रेगिस्तान प्रायद्वीप से निकल कर एक झपाटै मे पशिच्म मे सूदूर स्पेन तक इस्लामी साम्राज्य का विस्तार कर डालने वाली विश्व विजयनी अरब सेनाओ को भारत मे सिंध मे आकर थम जाना पडा ओर अगले तीन सो वर्षो तक वे इस प्रदेश मे सफलता न पा सकी । प्रतिहार गुर्जरो का समस्त राष्ट्र ऋणी है क्योकि उन्होंने भारत की सकंट काल मे रक्षा की । अब सिंध मे अरबो का अधिकार केवल मन्सूरा ओर मुल्तान इन दो स्थानो पर ही रह गया । जंहा पर उन्होने गुर्जर सम्राट के आक्रमणों से बचने के लिये "अल महफूज " नामक रक्षा -प्रकार बनवाये थे। ओर उन्ही मे छिपकर गुर्जरो के हमलो से अपनी रक्षा करते थे।इन दोनो स्थानो को छोडकर शेष समस्त सिंध गुर्जर साम्राज्य मे मिला लिया गया था । इसके लिये गुर्जेशवर सम्राट ने सैनिक अभियान भेजकर अरब सेनाओ को पराजित किया । सिंध का अरब शासक शासक इमरान -

भड़ाना देश व भड़ाना राजवंश | Bhadana Gurjar Dynasty

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भड़ाना देश व भड़ाना राजवंश | Bhadana Gurjar Dynasty History & Kings of Bhadana Gurjar Dynasty  भारतीय इतिहास लेखन में बहुत से राजवंशों और समुदायों को अपेक्षित स्थान नहीं मिल पाया है। ऐसे राजवंशों का उल्लेख यदाकदा इतिहास के संदर्भ ग्रन्थों में मिल जाता है, परन्तु इनके संगठित एवं क्रमबद्ध इतिहास का प्रायः अभाव है। ऐसा ही एक राजवंश है, ‘भड़ाना वंश’। भड़ाना जिन्हें सामान्य तौर पर समकालीन ग्रन्थों में ‘भड़ानक’ कहा गया है, ग्यारहवीं व बारहवीं शताब्दी में एक विस्तृत क्षेत्र पर शासन करते थे। ‘भड़ानक’ मुख्य रूप से मथुरा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली क्षेत्र में निवास करते थे और यह क्षेत्र इनके राजनीतिक आधिपत्य के कारण ‘भड़ाना देश’ अथवा ‘भड़ानक देश’ कहलाता था। सम्भवतः भड़ानकों की बस्तियाँ दिल्ली के दक्षिण में फरीदाबाद जिले तक थीं, जहाँ आज भी ये बड़ी संख्या में निवास करते हैं। फरीदाबाद जिले में भड़ानों के बारह गांव आबाद हैं। इतिहासकार दशरथ शर्मा के अनुसार जब शाकुम्भरी के राजा पृथ्वीराज चौहान ने भड़ाना देश पर आक्रमण किया, उस समय पर इस राज्य की पूर्वी सीमा पर चम्बल नदी ए