Thursday, 6 October 2016

गुर्जर

गुर्जर समाज, प्राचीन एवं राज्य करने वाले समाज में से एक है। गुर्जर अभिलेखो के अनुसार ये सूर्यवंश या रघुवंश से सम्बन्ध रखते हैं। प्राचीन महाकवि राजसेखर ने गुर्जरो को रघुकुल-तिलक तथा रघुग्रामिणी कहा है।[1]7वीं से 10वीं शताब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सूर्यदेव की कलाकृतिया भी इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती है।[2]राजस्थान में आज भी गुर्जरो को सम्मान से मिहिर बोलते हैं, जिसका अर्थ सूर्य होता है।[3][4]कुछ इतिहासकरो के अनुसार गुर्जर मध्य एशिया के कॉकेशस क्षेत्र (अभी के आर्मेनिया और जॉर्जिया) से आए आर्य योद्धा थे। संस्कृत के विद्वानों के अनुसार, गुर्जर शुद्ध संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ शत्रु का नाश करने वाला अर्थात शत्रु विनाशक होता है।[5][6]प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जर नरेश महिपाल को अपने महाकाव्य में दहाड़ता गुर्जर कह कर सम्बोधित किया है।[7]

गुर्जर साम्राज्य

इतिहास के अनुसार 5वी सदी में भीनमाल गुर्जर साम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी। भरुच का साम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग अपने लेखों में गुर्जर साम्राज्य का उल्लेख किया है।[8]
छठी से 12 वीं सदी में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे। गुर्जर-प्रतिहार वंश की सत्ता कन्नौज से लेकर बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैली थी। मिहिरभोज को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई बंगाल के पाल वंश और दक्षिण-भारत के राष्ट्रकूट शासकों से होती रहती थी। 12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए। अरब आक्रान्ताओं ने गुर्जरो की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में भूरि-भूरि प्रशंसा की है।[9]
इतिहासकार बताते है कि मुग़ल काल से पहले तक राजस्थान तथा गुजरात, गुर्जरत्रा (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।[10]अरब लेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे तथा उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर 12वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।[11]
  1. टीका टिप्पणी और संदर्भ


  2. Devadatta Ramakrishna Bhandarkar (1989) Some aspects of ancient Indian culture। Asian Educational Services। ISBN 81-206-0457-1, ISBN 978-81-206-0457-5

  3. Lālatā Prasāda Pāṇḍeya (1971) Sun-worship in ancient India। Motilal Banarasidass।

  4. Bombay (India : State) (1901) Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1। Govt. Central Press।

  5. Chandrasekharendra Saraswati (Jagatguru Sankaracharya of Kamakoti) (2001) Śri Śaṅkara Bhagavatpādācārya's Saundaryalaharī। Bharatiya Vidya Bhavan।

  6. Indirā Gāndhī Rāshṭrīya Mānava Saṅgrahālaya, Kulbhushan Warikoo, Sujit Som (2000*) Gujjars of Jammu and Kashmir। Indira Gandhi Rashtriya Manav Sangrahalaya। “"Gurjar" is a sanskrit word which has been explained thus: Gur+Ujjar;'Gur' means 'enemy' and 'ujjar' means 'destroyer'.The word means "Destroyer of the enemy".”

  7. India. Office of the Registrar General (1961) Census of India, Volume 20, Part 6, Issue 27। Manager of Publications। “These people used to enjoy a title of 'Gorjan' (Leader of masses).In sanskrit the word Gurjar was used and now-a-days Gujjar is used in place of Gurjar which predicts the qualities of a warrior community.”

  8. Bombay (India : State) (1901) Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1। Govt. Central Press। “With the roaring Gujar an ephithet in the Kupadvanj Rashtrakutta grant of AD 910...”

  9. Juzr or Jurz.Persian Texts in Translation The Packard Humanities Institute। Archived from the original on 2007-09-29। अभिगमन तिथि: 2007-05-31

  10. John Keay (2001) India: a history। Grove Press। ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5

  11. Ramesh Chandra Majumdar (1977) The History and Culture of the Indian People: The classical age। Bharatiya Vidya Bhavan।

  12. John Keay (2001) India: a history। Grove Press। ISBN 0-8021-3797-0, ISBN 978-0-8021-3797-5

 

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