गुर्जर प्रतिहार शैली के बटेश्वर मंदिरो का इतिहास / History of Bateshwar Temples of Gurjara Pratihara
गुर्जर प्रतिहार राजवंश के शासन काल के समय बनवाये गये बटेश्वर मंदिर, पडावली मंदिर, चौसठ योगिनी इत्यादी सैकडो मंदिर बने।
एस. के. द्विवेदी ने गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य पर भी चर्चा की और बताया की आज अगर हिन्दू धर्म भारत में बचा हुआ है उसका श्रेय गुर्जर प्रतिहार राजवंश को जाता है। जिन्होंने अरबों से 300 वर्ष तक लगभग 200 से ज्यादा युद्ध किये जिसका परिणाम है कि हम आज यहां सुरक्षित है।
गुर्जर प्रतिहारो का इतिहास सौ 300 वर्षों का न होकर हजारो वर्षो का यह कटु सत्य है कि इस धरती पर स्थाई रुप से किसी राजवंश ने शासन नही किया है। यहां अनेको गुर्जर राजवंशो ने समयानुसार शासन किया और अपने वीरता, शौर्य , कला का प्रदर्शन कर सभी को आश्चर्य चकित किया।
भारत देश हमेशा ही गुर्जर प्रतिहारो का रिणी रहेगा उनके अदभुत शौर्य और पराक्रम का जो उनहोंने अपनी मातृभूमि के लिए न्यौछावर किया है। जिसे सभी विद्वानों ने भी माना है।
आइये जानते है बटेश्वर के इतिहास को जो गुर्जर प्रतिहार शैली पर बना है जो अपने आप मे एक अदभुत कला है।
बटेश्वर मंदिर का इतिहास :
मध्यप्रदेश के मुरैना से लगभग पचीस किलोमीटर दूर चम्बल के बीहड़ों में एक जगह पड़ती है "बटेश्वर तीर्थ" वहां आठवीं से दसवीं शताब्दी के बीच गुर्जर प्रतिहार राजवंश द्वारा बनवाई गई अब तक सबसे बेहतरीन कला है करीब एक ही जगह पर 200 मंदिरों का निर्माण किया गया था।।
इन मंदिरों का निर्माण गुर्जर प्रतिहार राजवंश के सम्राट मिहिर भोज के शासनकाल से प्रारम्भ हुआ और गुर्जर सम्राट विजयपाल प्रतिहार के शासनकाल के समय इन मंदिरों का निर्माण कार्य पूरा हुआ।। भगवान् शिव और विष्णु को समर्पित ये मंदिर खजुराहो से भी 300 वर्ष पूर्व बने थे चम्बल में डाकुवों के आतंक के कारण ये और भी उपेक्षित रहे और लगभग सारे के सारे गिर चुके थे।।
• मंदिरो का पुनर्निमाण :
के के मुहम्मद बताते हैं कि जब पुनर्निर्माण का कार्य चल ही रहा था तो पहाड़ी के ऊपर के एक मंदिर में एक व्यक्ति उन्हें मिला जो बैठा बीड़ी पी रहा था.. के के साहब को गुस्सा आया और उन्होंने उस से कहा कि "तुमको पता है कि ये मंदिर है.. और तुम यहाँ बैठ के बीड़ी पी रहे हो?".. वो आगे बढे उसे वहां से निकालने के लिए तभी उनके एक अधिकारी ने पीछे से आके उनको पकड़ लिया और बीड़ी पीने वाले व्यक्ति की तरफ इशारा करके बोला "अरे आप इन सर को नहीं जानते हैं.. इन्हें पीने दीजिये".. के के मुहम्मद समझ गए कि ये निर्भय सिंह गुर्जर है.. और कहते हैं कि "मैं उसके चरणों में बैठ गया और उसे समझाने लगा कि एक समय था कि आपके ही वंश के लोगों ने इन मंदिरों को बनाया था.. और अगर आपके ही पूर्वजों की इन अनमोल धरोहर और मूर्तियों को अभी न बचाया गया तो ये समय के साथ गायब हो जायेंगी.. इसलिए क्या आप हमारी मदद नहीं करेंगे इनके पुनर्निर्माण में?".. निर्भय को के के मुहम्मद कि बात समझ आ गयी और उसने अपना पूरा सहयोग दिया उन्हें इन मंदिरों के पुनर्निर्माण में।
के के मुहम्मद कि वजह से आज सौ से भी अधिक मंदिर वहां अपने पुराने रूप में लाये जा चुके हैं.. के के मुहम्मद इन मंदिरों को अपना तीर्थ मानते हैं.. और चाहते हैं कि आने वाले समय में इस स्थान को तीर्थ यात्रा के रूप में मान्यता मिले.. भारत के विभिन्न स्थानों पर जाने कितने मंदिरों का जीर्णोद्वार किया है के के मुहम्मद ने अब तक.. उनको मंदिरों और भारतीय मान्यातों का बहुत गूढ़ ज्ञान और श्रद्धा है.. और बिना श्रद्धा के इस तरह का पुनर्निर्माण संभव नहीं होता है। भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर (ASI) "के.के मुहम्मद" ने इन मंदिरों को पुनर्स्थापित करने का जिम्मा उठाया हैं।।
और आज गुर्जर प्रतिहारो द्वारा बनावाये दो सौ भी अधिक मंदिर वहां अपने पुराने रूप में लाये जा चुके हैं। के के मुहम्मद इन मंदिरों को अपना तीर्थ मानते हैं और चाहते हैं कि आने वाले समय में इस स्थान को तीर्थ यात्रा के रूप में मान्यता मिले ।के.के. जी ने भारत के विभिन्न स्थानों पर कई मंदिरों का जीर्णोद्वार किया है।।
के के मुहम्मद मंदिरों और भारतीय मान्यातों का बहुत गूढ़ ज्ञान और श्रद्धा रखते है, और बिना श्रद्धा के इस तरह का पुनर्निर्माण संभव नहीं होता है ।।
बटेश्वर मंदिर के अलावा भी गुर्जर प्रतिहारो ने कई चीजो का निर्माण किया था जिसमे पडावली मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर आदि इनके अलावा सैकडो इलाके व ठिकाने है जहाँ गुर्जर प्रतिहारो ने अपनी कला बनाई ।
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