नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष था। इसे 'हरिशचन्द्र' के नाम से भी जाना जाता था।
- हरिशचन्द्र की दो पत्नियाँ थीं- एक ब्राह्मण थी और दूसरी क्षत्रिय।
- माना जाता है कि, ब्राह्मण पत्नी से उत्पन्न पुत्र 'माला' पर शासन कर रहा था तथा क्षत्रीय पत्नी से उत्पन्न पुत्र जोधपुर पर शासन कर रहा था।
- किन्तु इस वंश का वास्तविक महत्त्वपूर्ण राजा नागभट्ट प्रथम (730 - 756 ई.) था।
- उसके विषय में ग्वालियर अभिलेख से जानकारी मिलती है, जिसके अनुसर उसने अरबों को सिंध से आगे नहीं बढ़ने दिया।
- इसी अभिलेख में बताया गया है कि, वह नारायण रूप में लोगों की रक्षा के लिए उपस्थित हुआ था तथा उसे मलेच्छों का नाशक बताया गया है।
नागभट्ट द्वितीय (795 से 833 ई.),
वत्सराज का पुत्र एवं उसका उत्तराधिकारी था।
- उसने गुर्जर प्रतिहार वंश की प्रतिष्ठा को बहुत आगे बढ़ाया।
- ग्वालियर अभिलेख के अनुसार उसने कन्नौज से चक्रायुध को भगाकर उसे अपनी राजधानी बनाया।
- नागभट्ट द्वितीय ने सम्राट की हैसियत से 'परभट्टारक', 'महाराजाधिराज' तथा 'परमेश्वर' आदि की उपाधियाँ धारण की थीं।
- मुंगेर के नजदीक उसने पाल वंश के शासक धर्मपाल को पराजित किया था, परन्तु उसे राष्ट्रकूट नरेश गोविन्द तृतीय से हार खानी पड़ी।
- ग्वालियर अभिलेखों में नागभट्ट द्वितीय को 'तुरुष्क', 'किरात', 'मत्स्य', 'वत्स' का विजेता कहा गया है।
- चन्द्रप्रभास कृत 'प्रभावकचरित' से जानकारी मिलती है कि, नागभट्ट द्वितीय ने पवित्र गंगा नदी में जल समाधि के द्वारा अपना प्राण त्याग किया।
- नागभट्ट द्वितीय के बाद कुछ समय (833 से 836 ई.) के लिए उसका पुत्र रामभद्र गद्दी पर बैठा।
- रामभद्र को पाल वंश के शासक से हार का मुँह देखना पड़ा।
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