गुर्जर सम्राट बप्पा रावल
(शासनकाल 734-753) गुहिल गुर्जर वंश मेवाड का वीर शासक था। उदयपुर रियासत की स्थापना आठवीं शताब्दी में गुहिल गुर्जरो ने की थी। गुहिल गुर्जर वंश गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के अधिन राजवंशो मे से एक था । बप्पा रावल को 'कालभोज' भी कहा जाता था। जनता ने बप्पा रावल के प्रजासंरक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर ही इसे 'बापा' पदवी से विभूषित किया था। हरियाणा के पानीपत जिले मे इनके नाम पर गाँव बापोली (बप्पा वाली) भी है। जंगा सभी गुर्जर रावल गौत्र के है।
राज्यकाल
महाराणा कुंभा के समय में रचित एकलिंग महात्म्य में किसी प्राचीन ग्रंथ या प्रशस्ति के आधार पर बप्पा रावल का समय संवत 810 (सन 753) ई. दिया है। एक दूसरे एकलिंग माहात्म्य से सिद्ध है कि यह बप्पा रावल के राज्यत्याग का समय था। यदि बप्पा रावल का राज्यकाल 30 साल का रखा जाए तो वह सन् 723 के लगभग गद्दी पर बैठा होगा। गुहिल वंश गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य का अधिन गुर्जर वंश था ।
अरबों का आक्रमण
बप्पा रावल की विशेष प्रसिद्धि गुर्जर प्दुर्जर के साथ अरबो से सफल युद्ध करने के कारण हुई।अरबों ने चारों ओर धावे करने शुरू किए जिनका जवाब गुर्जर प्रतिहारो ने बखूबी दिया। सन् 712 ई. में बप्पा रावल ने मुहम्मद बिन कासिम से सिंधु को जीता। । गुर्जरदेश के महान गुर्जर सम्राट् नागभट (प्रथम) और बप्पा रावल के नाम उल्लेख्य हैं। गुर्जर सम्राट नागभट्ट प्रतिहार (प्रथम) ने अरबों को गुर्जरदेश से मार भगाया। बापा ने यही कार्य मेवाड़ और उसके आसपास के प्रदेश के लिए किया।
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