गुर्जर सम्राट नागभट प्रतिहार

गुर्जर सम्राट नागभट प्रतिहार - Gurjar Samrat Nagbhat Pratihar

गुर्जर सम्राट नागभट प्रतिहार


Gurjar Samrat Nagbhat Pratihar

नागभट्ट प्रथम गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रथम ऐतिहासिक पुरुष था। इसे 'हरिशचन्द्र' के नाम से भी जाना जाता था।गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना नागभट्ट नामक ने 725 ई. में की थी। उसने राम के भाई लक्ष्मण को अपना पूर्वज बताते हुए अपने वंश को सूर्यवंश की शाखा सिद्ध किया। अधिकतर गुर्जर सूर्यवंश का होना सिद्द करते है तथा गुर्जरो के शिलालेखो पर अंकित सूर्यदेव की कलाकृर्तिया भी इनके सूर्यवंशी होने की पुष्टि करती है।आज भी राजस्थान में गुर्जर सम्मान से मिहिर कहे जाते हैं, जिसका अर्थ सूर्यहोता है।
हरिशचन्द्र की दो पत्नियाँ थीं
माना जाता है कि, पहली पत्नी से उत्पन्न पुत्र 'माला' पर शासन कर रहा था तथा दुसरी पत्नी से उत्पन्न पुत्र जोधपुर पर शासन कर रहा था।
किन्तु इस वंश का वास्तविक महत्त्वपूर्ण राजा नागभट्ट प्रथम (730 - 760 ई.) था।
उसके विषय में ग्वालियर अभिलेख से जानकारी मिलती है, जिसके अनुसर उसने अरबों को सिंध से आगे नहीं बढ़ने दिया।
इसी अभिलेख में बताया गया है कि, वह नारायण रूप में लोगों की रक्षा के लिए उपस्थित हुआ था तथा उसे मलेच्छों का नाशक बताया गया है।
नागभट्ट प्रथम के दो भतीजे 'कक्कुक' एवं 'देवराज' के शासन के बाद 'देवराज' का पुत्र वत्सराज (783 - 795 ई.) गद्दी पर बैठा।
• त्रिपक्षीय संघर्ष:- 8 वीं से 10 वीं सदी के मध्य लगभग 200 वर्षो तक पष्चिम के प्रतिहार पूर्व के पाल और दक्षिणी भारत के राष्ट्रकूट वंष ने कन्नौज की प्राप्ति के लिए जो संघर्ष किया उसे ही त्रिपक्षीय संघर्ष कहा जाता है।

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