सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार

राष्ट्ररक्षक वीर गुर्जर - सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार

राष्ट्ररक्षक वीर गुर्जर  - सम्राट मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहार

Gurjar Samrat Mihir Bhoj | गुर्जर सम्राट मिहिर भोज
गुर्जर प्रतिहार राजाओ द्वारा अरब के प्रबल विरोध का ही ये परिणाम था कि रेगिस्तान प्रायद्वीप से निकल कर एक झपाटै मे पशिच्म मे सूदूर स्पेन तक इस्लामी साम्राज्य का विस्तार कर डालने वाली विश्व विजयनी अरब सेनाओ को भारत मे सिंध मे आकर थम जाना पडा ओर अगले तीन सो वर्षो तक वे इस प्रदेश मे सफलता न पा सकी ।
प्रतिहार गुर्जरो का समस्त राष्ट्र ऋणी है क्योकि उन्होंने भारत की सकंट काल मे रक्षा की ।
अब सिंध मे अरबो का अधिकार केवल मन्सूरा ओर मुल्तान इन दो स्थानो पर ही रह गया । जंहा पर उन्होने गुर्जर सम्राट के आक्रमणों से बचने के लिये "अल महफूज " नामक रक्षा -प्रकार बनवाये थे। ओर उन्ही मे छिपकर गुर्जरो के हमलो से अपनी रक्षा करते थे।इन दोनो स्थानो को छोडकर शेष समस्त सिंध गुर्जर साम्राज्य मे मिला लिया गया था ।
इसके लिये गुर्जेशवर सम्राट ने सैनिक अभियान भेजकर अरब सेनाओ को पराजित किया । सिंध का अरब शासक शासक इमरान -बिन-मूसा गुर्जरो की सेनाओ से पूरी तरह पराजित हुआ ओर इस प्रकार गुर्जर साम्राज्य की सीमाऐ सिंधु नदी से सैकडो मील पश्चिम तक पहुंच गयी थी । इस प्रकार भारत अगली शताब्दीयो तक अरब आक्रमणों से मुक्त हो गया ।
गुर्जर सम्राट मिहिर भोज का राज्य काबुल से रांची व आसाम तक हिमालय से नर्मदा नदी व आंध्र तक, काठियावाड से बगांल तक सुदृढ सुसंगठित ओर धन - धान्य पूर्ण था ।

• संदर्भ :
हरियाणा के प्राचीन लक्षण स्थान, स्वामी ओउमानन्द सरस्वती -- पृष्ठ - 93

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