Sunday, 16 October 2016

वीरांगना रामप्यारी गुर्जरी / Veerangna Rampyari Gurjari


वीरांगना रामप्यारी गुर्जरी / Veerangna Rampyari Gurjari

                                                     वीरांगना रामप्यारी गुर्जरी 

''रामप्यारी गुर्जरी''' का जन्म गुर्जरगढ (वर्तमान मे सहारनपुर) क्षेत्र में हुआ था। ये चौहान गोत्री गुर्जर थी
सन्  1398 में, जब तैमूर लैंग ने हरिद्वार से प्राचीन दिल्ली क्षेत्रों पर आक्रमण किया तो रामप्यारी गुर्जर ने तैमूरलैंग के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। जबसे उसके नाम से पहले शब्द वीरांगना लगाया जाता है।
 रामप्यारी गुर्जरी के रण-कौशल को देखकर तैमूर दांतों के नीचे अंगुली दबा गया था। उसने अपने जीवन में ऐसी महिला को इस प्रकार 40 हजार औरतों की सेना का मार्गदर्शन करते हुए कभी नहीं देखा था और ना सुना था। तैमूर इनकी वीरता देखकर वह घबरा उठा था।

• परिचय :

 इन पर महाबली जोगराज सिंह गुर्जर का खासा प्रभाव था|इनको बचपन से ही वीरता की कहानियां और किस्से सुनने का शौक था। इनका जन्म से ही निर्भय और लड़ाकू स्वभाव की थी। देश के गुलामकल का दौर होते हुए भी बचपन में अपने खेतों पर अकेली चली जाने में आपको कभी डर नहीं लगता था। अपनी मां से प्रायः पहलवान बनने के लिए जिज्ञासा पूर्वक पूछा करती थी और प्रातः सांय खेतों पर जा कर अथवा एकान्त स्थान में व्यायाम किया करती थी। कुछ तो स्वयं बचपन से ही स्वच्छ सुड़ौल और आकर्षक शरीर की लड़की उस पर व्यायाम ने आपके व्यक्तित्व पर वही कार्य किया जो सोने पर अग्नि में तपकर कुन्दन बनने का होता है अर्थात आप कुंदन बन गई थी। रामप्यारी बचपन से किशोर अवस्था में कदम रखने लगी। आप सदैव लड़को जैसे वस्त्र पहनती थी और गांव और पड़ौसी गांवों में पहलवानों के कौशल देखने अपने पिता और भाई के साथ जाती थी| ऐसी वीरांगनाएं सदैव जन्म नहीं लिया करती। रामप्यारी की इन बातों की चर्चा सारे गांव और क्षेत्र में फैलने लगी। 

• 1398 मे तैमूर लंग से यूध्द :

जब-जब तैमूरलंग बनाम सर्वखाप लड़ाई का इतिहास लिखा जाएगा तो '''दादीराणी रामप्यारी गुर्जरी''' जी की कहानी भी स्वत: गाई जाएगी।398 ई में भारत पर क्रूर हमला किया। तैमूर ने क्रूर और खुली लूट पाट की, वह बहुत ही करुर था, एक महापंचायत में सभी समाज के लोगो ने तैमूर, की सेना से छापामार युद्ध लड़ने कीरणनीति बनायीं , और महापंचायत ने सर्व समाज की एक सेना तेयार की इस महापंचायत सेना के ध्वज के तहत 80,000  योद्धा  सैनिकों और 40,000 युवा महिला सेनिक  हतियारो के साथ शामिल हुए थे। महिला सैनिक राम प्यारी के नेतृत्व मे थी ,और 80,000 यौध्दा के सुप्रीम जनरल चुना महाबली जोगराज सिंह गुर्जर थे गया व हरवीर सिंह गुलिया सेनापति थे। डिप्टी जनरल  थे तैमुर लंग के खुनी कत्लेआम से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। इन्होने बहुत बाहदुरी के साथ तेमूर की सेना का मुकाबला किया। इस युद्ध में सभी समाज के लोगो ने भाग लिया था। इसयुद्ध मे बुरी तरह घायल होने के कुछ दिनों बाद ही तेमूर लंग की मौत हो गई।
वीरांगना रामप्यारी गुर्जरी ने देशरक्षा के लिए शत्रु से लड़कर प्राण देने की प्रतिज्ञा की। जोगराज के नेतृत्व में बनी 40000 हजार ग्रामीण महिलाओं को युद्ध विद्या का प्रशिक्षण व् निरीक्षण जा जिम्मा रामप्यारी चौहान गुर्जरी व् इनकी चार सहकर्मियों को मिला था। इन 40000 महिलाओं में गुर्जर, जाट, अहीर, राजपूत, हरिजन, वाल्मीकि, त्यागी, तथा अन्य वीर जातियों की वीरांगनाएं थी। रामप्यारी के नेतृत्व मे इस महिला सेना का गठन ठीक उसी ढंग से किया था जिस ढंग से सेना का था। प्रत्येक गांव के युवक-युवतियां अपने नेता के संरक्षण में प्रतिदिन शाम को गांव के अखाड़े पर एकत्र हो जाया करते थे और व्यायाम, मल्ल विद्या तथा युद्ध विद्या का अभ्यास किया करते थे। गांव के पश्चात खाप की सेना विशेष पर्वों व आयोजन पर अपने कौशल सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित किया करती थी। सर्व खाप पंचायत के सैनिक प्रदर्शन यदा-कदा अथवा वार्षिक विशेष संकट काल में होते रहते थे| लेकिन संकट का सामना करने को सदैव तैयार रहते थे। इसी प्रकार रामप्यारी गुर्जरी की महिला सेना पुरूषों की भांति सदैव तैयार रहती थी। ये महिलाएं पुरूषों के साथ तैमूरलंग के साथ युद्ध में कन्धे से कन्धा मिला कर लड़ी।

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