Friday 27 September 2024

History of Rajasthan

 History of Rajsthan book "He was son of king but not from the queen."

राजस्थान का इतिहास भाग-1:-गोला का अर्थ दास अथवा गुलाम होता है। भीषण दुर्भिक्षों के कारण राजस्थान में गुलामों की उत्पत्ति हुई थी। इन अकालों के दिनों में हजारों की संख्या में मनुष्य बाजारों में दास बनाकर बेचे जाते थे। पहाड़ों पर रहने वाली पिंडारी और दूसरी जंगली जातियों के अत्याचार बहुत दिनों तक चलते रहे और उन्हीं जातियों के लोगों के द्वारा बाजारों में दासों की बिक्री होती थी, वे लोग असहाय राजपूतों को पकड़कर अपने यहाँ ले जाते थे और उसके बाद बाजारों में उनको बेच आते थे। इस प्रकार जो निर्धन और असहाय राजपूत खरीदे और वेचे जाते थे, उनकी संख्या राजस्थान में बहुत अधिक हो गयी थी और उन लोगों की जो संतान पैदा होती थी, वह गोला के नाम से प्रसिद्ध हुई। इन गुलाम राजपूतों को गोला और उनकी स्त्रियों तथा लड़कियों को गोली कहा जाता था।
इन गोला लोगों में राजपूत, मुसलमान और अनेक दूसरी जातियों के लोग पाये जाते हैं। बाजारों में उन सबका क्रय और विक्रय होता है। बहुत से राजपूत सामन्त इन गोला लोगों की अच्छी लड़कियों को अपनी उपपत्नी बना लेते हैं और उनसे जो लड़के पैदा होते हैं, वे सामन्तों के राज्य में अच्छे पदों पर काम करने हेतु नियुक्त कर दिये जाते हैं। देवगढ़ का स्वर्गीय सामन्त जब उदयपुर राजधानी में आया करता था तो उसके साथ तीन सौ अश्वारोही गोला सैनिक आया करते थे। उन सैनिकों के बायें हाथ एक-एक साने का कडा होता था
जैसा कि राजस्थान का इतिहास नामक पुस्तक में लिखा है कि इन्हें अच्छे पदों पर काम करने के हेतु नियुक्त किया जाता था और history of Rise of Mohammadan में भी लिखा कि मुगल काल में ये शक्तिशाली होने लगे तब इन्होंने सत्ता के लिए लड़ना प्रारम्भ कर दिया जैसा कि ऐतिहासिक ग्रंथो में ऐसे राजाओं के प्रमाण मिल जायेंगे जो जीवन भर सत्ता के लिए लड़ते रहे
जैसा कि कर्नल टॉड की किताब राजस्थान का इतिहास में कन्नौज और अनहिलवाडा के राजाओं ने सत्ता के लिए पृथ्वीराज चौहान को शक्तिहीन करने के लिए गजनी के शाहबुद्दीन को आमंत्रित किया!!
और अजीत सिंह ने सत्ता के लिए राजा दुर्गादास राठौर को राज्य से निष्कासित करवा दिया।
राणा सांगा के बड़े भाई पृथ्वीराज के दासी पुत्र बनवीर ने सत्ता के लिए विक्रमादित्य की हत्या करवाई...
इतिहासकार गोपीनाथ शर्मा की एक पुस्तक में प्रताप सिंह द्वारा सत्ता के लिए जगपाल को मारने का उल्लेख मिलता है।
पृथ्वीराज उड़ाना और राणा सांगा के मध्य सत्ता के लिए खुनी झगड़ा होने का ऐतिहासिक पुस्तको में जिक्र मिलता है और इसी झगड़े में राणा सांगा अपनी एक आँख और हाथ खो देते है और पृथ्वीराज उड़ाना को मरवा देते है।
कैसे सत्ता के लिए राजकुमार रणमल राठौर राणा मोकल को रेकय से निकलवा देता है और राणा राघव देव की हत्या करवा देता है!!
ऐसे करके ये सत्ता में बने रहे और इनकी वित्तीय स्थिति काफी मजबूत हो गयी...
वित्तमेव कलौ नृणां जन्माचारगुणोदयः। धर्मन्यायव्यवस्थायां कारणं बलमेव हि।।
~श्रीमद्भागवत महापुराण द्वादश स्कन्ध द्वितीय अध्याय श्लोक संख्या २
भावार्थ:-कलयुग में जिसके पास धन होगा,उसी को लोग कुलीन,सदाचारी और सद्गुणी मानेंगे।जिसके हाथ में शक्ति होगी वही धर्म और न्याय की व्यवस्था अपने अनुकूल करा सकेगा।

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