दादरी-स्वतंत्रता दिवस दादरी के लोगों के लिए खास महत्व रखताहै। आजादी की पहली लड़ाई यानी 1857 की क्रांति मेंदादरी के लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। अंतिम मुगलबादशाह बहादुशाह जफर की योजना के मुताबिक दादरी केराजा राव उमराव सिंह की अगुआई में यहां के लोगों ने मई1857 में अंग्रेजों को दिल्ली की तरफ बढ़ने से रोक दियाथा। राव उमराव सिंह ने कई अंग्रेज सैनिकों को बंदीबनाकर दादरी के खेतों में उनसे हल चलवाया था। हालांकिबाद में अंग्रेजों ने दादरी पर आक्रमण कर राव उमराव सिंहको परिवार समेत बंदी बनाकर बुलंदशहर के काले आमपर फांसी दे दी थी। मेरठ से क्रांति की चिनगारी फूटने के बाद 12 मई 1857को मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर ने ब्रिटिश सैनिकों कोरोकने की जिम्मेदारी दादरी के राजा राव उमराव सिंह को सौंपी थी। राव उमराव सिंह , बल्लभगढ़ नरेश नाहरसिंह व मालागढ़ के नवाब बलीदाद खां ने हजारों ग्रामीणों , किसानों व सैनिकों को साथ लेकर अंग्रेजों के खिलाफमोर्चा संभाला। राव उमराव सिंह के भाई बिशन सिंह , कृष्ण सिंह भगवत सिंह आदि ने गदर में अहम भूमिकानिभाई थी। राव उमराव सिंह समेत सभी लोग दादरी क्षेत्र के नंगला नयनसुख के गुर्जर जमीदार झंडु सिंह केपास गए और उनसे अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध में साथ देने की अपील की। इसके बाद कोट गांव में एक महापंचायतहुई , जिसमें क्षेत्र के सभी गांवों से हजारों लोगों ने भाग लिया। मई के मध्य में अंग्रेजों के साथ हिंडन नदी पर घमासान युद्ध हुआ। अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ा , अनेक अंग्रेजसैनिक बंदी बना लिए गए। उमराव सिंह ने बैलों के स्थान पर अंग्रेजों से खेतों में हल चलवाया। अंग्रेजी सेना के90 अरबी घोडे़ जब्त कर लिए गए। इसके बाद दादरी में राव उमराव सिंह , अनुपशहर में चौहान रानी ,बल्लभगढ़ में नाहर सिंह व मालागढ़ पर नवाब वलीदाद खां का अधिकार हो गया। 20 मई 1857 को रावउमराव सिंह , उनके भाई बिशन सिंह व कृष्ण सिंह को बंदी बना लिया गया। उमराव सिंह को बुलंदशहर मेंकाला आम पर फांसी पर लटका दिया गया , जबकि उनके भाइयों को हाथियों के पैरों की नीचे दबा दिया गया।इनके साथ 78 अन्य वीरों को भी फांसी पर लटका दिया गया था। इनमें मजलिस भाटी , चिटहेरा के फत्ताजमीदार , बढ़पुरा के लक्ष्मण भाटी आदि थे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गुर्जर प्रतिहार
नीलकुण्ड, राधनपुर, देवली तथा करडाह शिलालेख में प्रतिहारों को गुर्जर कहा गया है । राजौरगढ शिलालेख" में वर्णित "गुर्जारा प्रतिहार...
-
चंदेल गुर्जर वंश | History of Chandel Gurjar Dynasty चन्देल गुर्जर वंश का इतिहास चंदेल | चंदीला | चन्देल वंश । भारतीय वंश । Chan...
-
कर्नल जेम्स टोड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Inscription of Gurjar History by Rajput Historian James Tod कर्नल जेम्स टोड द्वा...
-
जोधपुर से 65 किलोमीटर दूर औसियाँ जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण गुर्जर प्रतिहार शासकों द्वारा करवाया गया था। गुर्ज...
No comments:
Post a Comment