शहीद स्मृति संस्थान के आवाह्नïन पर यहां 1857 की क्रांति की 155 वीं वर्षगांठ 10 मई के पावन अवसर पर पदयात्रा का आयोजन किया जा रहा है। संस्थान की ओर से राव संजय भाटी ने बताया कि प्रात:काल 7.&0 बजे दादरी चौराहे पर राव उमराव सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण कर पदयात्रा कलेक्टे्रट सूरजपुर गौतमबुद्घ नगर जाकर समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि मई 1857 के भारतीय स्वाधीनता संग्राम में इस क्षेत्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिससे 1857 की महान क्रांति जिसे अंग्रेजों ने गदर कहा गांव गांव में फेेल गयी थी। यहां के वीर ग्रामीणों ने जालिम अंग्रेजी राज को चुनौती दी थी तथा लगभग एक साल तक गुलामी का निशान ही मिटा दिया था। सन 1874 में बुलंदशहर के डिप्टी कलेक्टर कुंवर लक्षण सिंह ने 1857 की क्रांति को लिपिबद्घ किया वह लिखता है, दादरी रियासत के राव रोशन सिंह, राव उमराव सिंह, राव बिशन सिंह राव भगवंत सिंह आदि ने मिलकर अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बगावत का झंडा उठाया था। अत: इस परिवार की सारी चल अचल संपत्ति सरकार द्वारा जब्त कर ली गयी और राव रोशन सिंह तथा उनके पुत्रों व भाईयों को प्राण दण्ड दे दिया गया। इस जन युद्घ के हिम्मत सिंह (गांव रानौली) झंडू जमींदार, सहाब सिंह (नंगला नैनसुख) हरदेव सिंह, रूपराम (बील) मजलिस जमींदार (लुहारली) फत्ता नंबरदार (चिटहरा) हरदयाल सिंह गहलोत, दीदार सिंह, (नगला समाना) राम सहाय (खगुआ बास) नवल, हिम्मत जमीदार (पैमपुर) कदम गूजर (प्रेमपुर) कल्लू जमींदार (चीती) करीम बख्शखांन (तिलबेगमपुर) जबता खान (मुंडसे) मैदा बस्ती (सांवली) इंद्र सिंह, भोलू गूजर (मसौता) मुल्की गूजर (हृदयपुर) मुगनी गूजर (सैंथली) बंसी जमींदार (नगला चमरू) देवी सिंह जमीदार (मेहसे) दानसहाय (देवटा) बस्ती जमींदार (गिरधर पुर) फूल सिंह गहलोत (पारसेह) अहमान गूजर (बढपुरा) दरियाव सिंह (जुनेदपुर) इंद्र सिंह (अट्टïा) आदि क्रांतिकारियों को अंग्रेजी सरकार ने रिंग लीडर दर्ज कर मृत्यु दण्ड दिया। भारत की आजादी के लिए प्रथम क्रांति युद्घ में हरदयाल सिंह रौसा, रामदयाल सिंह ,निर्मल सिंह (सरकपुर) तोता सिंह कसाना (महमूदपुर लोनी) बिशन सिंह (बिशनपुरा) सहित 84 क्रांतिकारियों को बुलंदशहर कालाआम पर मृत्यु दण्ड दिया गया वहीं अंग्रेजी सरकार द्वारा सैकड़ों क्रांतिकारियों को काले पानी की सजा दी गयी।
श्री भाटी ने कहा कि संस्थान का मानना है कि 1857 के बलिदानों को आजाद भारत में छह दशकों के बाद भी इतिहासकारों एवम सरकारों द्वारा घोर अपेक्षा का क्रम बदस्तूर जारी है। इन महान बलिदानियों को अपने श्रद्घासुमन व सरकार द्वारा उचित सम्मान दिलाने हेतु शहीद स्मृति संस्थान ने तीसरी बार पदयात्रा का आयोजन किया है।
पदयात्रा में भाग ले रहे हैं चौधरी रघुराज सिंह, सुखवीर सिंह आर्य, अगम सिंह नागर, राव अमित भाटी, डा. सुधीर गौड, नरेन्द्र नागर, एड श्याम सिंह भाटी, पंकज रौसा, अनुज बालियान, डा. रणवीर सिंह, विजेन्द्र नागर, ज्ञानेन्द्र प्रधान, हंसराज चंदीला, डा. आनंद आर्य, अरूण वर्मा, रणवीर नागर प्रधान, रघुराज नागर, सुंदर भाटिया, के पी नागर, दिनेश बंसल, सुनील भाटी, श्री सुभाष भाटी, श्री शिव कुमार, श्री संजय सिंह, गुलाम अहमद (बिसाहडिय़ा) आदि।
श्री भाटी ने कहा कि संस्थान का मानना है कि 1857 के बलिदानों को आजाद भारत में छह दशकों के बाद भी इतिहासकारों एवम सरकारों द्वारा घोर अपेक्षा का क्रम बदस्तूर जारी है। इन महान बलिदानियों को अपने श्रद्घासुमन व सरकार द्वारा उचित सम्मान दिलाने हेतु शहीद स्मृति संस्थान ने तीसरी बार पदयात्रा का आयोजन किया है।
पदयात्रा में भाग ले रहे हैं चौधरी रघुराज सिंह, सुखवीर सिंह आर्य, अगम सिंह नागर, राव अमित भाटी, डा. सुधीर गौड, नरेन्द्र नागर, एड श्याम सिंह भाटी, पंकज रौसा, अनुज बालियान, डा. रणवीर सिंह, विजेन्द्र नागर, ज्ञानेन्द्र प्रधान, हंसराज चंदीला, डा. आनंद आर्य, अरूण वर्मा, रणवीर नागर प्रधान, रघुराज नागर, सुंदर भाटिया, के पी नागर, दिनेश बंसल, सुनील भाटी, श्री सुभाष भाटी, श्री शिव कुमार, श्री संजय सिंह, गुलाम अहमद (बिसाहडिय़ा) आदि।
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