वीर गुर्जर - प्रतिहार वंश के साहित्यिक अभिलेख

वीर गुर्जर - प्रतिहार वंश के साहित्यिक अभिलेख :------
1. उधोतन सूरी दृआरा लिखित ग्रन्थ - कुवालय माला :----
जाबालीपुर ( जालोर ) नरेश- वत्सराज ) के दरबारी कवि एवम शिक्षक, उधोतन सूरी जैन मुनि ने शक सम्वत 700 ( 778 ई. ) मे कुवालयमाला नामक ग्रन्थ की रचना प्राकृत भाषा मे की थी । इसमे वत्स राज के राज्य प्रदेश को " गुर्जर दैश" कहा तथा गुर्जर दैश का समुचित वर्णन किया । गुर्जर दैश के निवासी गुर्जर ( गुज्जरै आवरे ) का भी वर्णन किया है। गुर्जर सम्राट वत्सराज को उधोतन सूरी नै " रणहस्तिन" अर्थात युद्ध मे हाथी की तरह स्थिर रहने वाला वीर योध्दा लिखा है ।
{ सन्दर्भ :- उधोतनसूरी कृत - कुवालयमाला }
2. जिनसेन सूरी कृत "हरिबशं-पुराण" ):----
शक समवत ) 705 ( 783 ई ) वर्धमान पुर ( बडवान) नगर मे गुर्जर प्रतिहारो के सामन्त राजा नन्नराज चापोत्कट के समय जिनसेन सूरी ने " हरिवंश पुराण" की रचना करी थी जिसमे गुर्जर प्रतिहार राजाओ का ओर उनकी दानशीलता व युध्द मे दिखाये पराक्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा का विस्तार सै वर्णन किया है ।
{ सन्दर्भ :--
1. इपिग्राफिक इडिका -15 पृष्ठ -141
2. गुप्तोतर राजवशं -राम वृशसिहं पृष्ठ -552
3. उज्जयिनी इतिहास एवम पुरातत्व - स. का. दीक्षित -पृष्ठ -178-179 }
3. कलहण कृत राज तरगिणी ):---
काश्मीर के राज दरबारी कवि एवम लैखक कल्हणने "राज तरंगिणी " नामक ग्रन्थ की रचना करी इसमे लिखा है कि यहा गुर्जर साम्राज्य के महान सम्राट मिहिर भोज के समय, चिनाव एवम झैलम नदियो के दोआब के शासक गुर्जर लखन पर, काश्मीर नरेश शंकरवर्मन दवारा आक्रमण करने तथा लखन से टक्कदैश जीत लिए जाने की घटना का वर्णन है । गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने यह टक्कदैश , शंकरवर्मन से आदेश मात्र से छीनकर पुनः लखन को दिलाया था ।
( उच्चखानालाखानस्य सख्यै, गुर्जर-भू-भुज ।
बदृ मूलाम क्षणा लक्ष्मी शुचं दीर्घारोपयतात स्मै दत्वा टक्क देशं विनयादडगं लीमिव ।
स्वशरीरम एवापासीन्मडंलम गुर्जराधिप ।।
हतम भोजाधि राजेन स साम्राज्य मदायत प्रतिहारतया भृत्यी भूतै थक्रुयिकान्वयै ।। )
{ सन्दर्भ :- 1. कल्हण राजतरगिणी -5 , पृष्ठ - 149--155
2. गुर्जर इतिहास - यतीन्द्र कुमार वर्मा - पृष्ठ - 58-59 }
4. अरब इतिहासकार - लेखको दृवारा - गुर्जर राजाओ का अपने साहित्य मे वर्णन :-----
1. सलसिलातु - त - तवारिख:--- सुलेमान एवम अबु जैद
2. अल मसूदी, मुरूज -उल-जहान )
3. अल ईदरिसी-नजहत -उल -मसतक )
4. अल बैरूनी, तहकीकै-हिनद
5. इब्न खुर्दादृ, किताब- उलमसालै-वल-मामलिक )
आदि अरब लेखको ने गुर्जरों को "जुर्ज" लिखा है । गुर्जर प्रतिहार शासको को भी "जूज्र" राजा ही लिखा है । अल मसूदी ने " जूज्रो" ( गुर्जरों की उपाधि " वराह" का भी उल्लेख किया है ।
5. कन्नड कवि पम्प का पम्पभारत ( विक्रमार्जुन विजय :----
कन्नड कवि पम्प ने "पम्पभारत" ग्रन्थ की रचना की तथा कन्नौज गुर्जर नरेश महिपाल को "गुर्जर राजा " सम्बोधित करते हुये मुक्त कंठ से प्रशंसा करी है।
राष्ट कूटो के सामन्त चालुक्य गुर्जर अरि कैशरिन के समय वेलुमवाड मे पम्प ने विक्रमार्जुन विजय ( पम्पभारत ) की रचना 941 ईस्वी मे की थी ।
{ सन्दर्भ :- 1. प्राचीन भारत का इतिहास- विधाधर महाजन पृष्ठ - 625
2. उत्तर भारत का राजनेतिक इतिहास -- विशुद्धानन्द पाठक--पृष्ठ - 160 }

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