जुनबिल हूणो ने लगभग ढाई सौ सालो तक हिन्दुकुश पर्वत के उत्तर में राज किया। ये भाग आजका अफगानिस्तान का बडा भूभाग है।
इन्हें जुन्बिल क्यों कहा जाता था ? गुर्जर हूणो की यह शाखा एक जून देवता की पूजा करती थी यह जून देव सूर्यदेव यानी मिहिर का दूसरा रूप है। जून भगवान की पूजा करने के कारण ही ये जुन्बिल कहलाये।
तत्कालीन जुन्बिल साम्राज्य में जून का एक बेहद सुन्दर व बडा मन्दिर भी था जिसे बाद में अरब आक्रमणकारियो ने तोड दिया था। यह हूणो की वह शाखा थी जो जाबुलिस्तान में थी व इनकी एक शाखा ने गुर्जरदेश में जाबुलपुर यानी जालौर बसाया। 610 ई० से 710 ई० तक जुन्बिलो व अरब आक्रमणकारियो के बीच युद्ध चले । जुन्बिलो ने कई भीषण युद्धो में हराकर अरबो को भगाया मगर ईस्लामिक साम्राज्य की बढती ताकत धार्मिक उन्माद से हर बार आ रही थी ।
जुनबिल हूणो को आज इतिहास में भुला दिया गया है जो कि गुर्जरो के पराक्रम को कम करने का कुत्सित प्रयास है।
इन्हें जुन्बिल क्यों कहा जाता था ? गुर्जर हूणो की यह शाखा एक जून देवता की पूजा करती थी यह जून देव सूर्यदेव यानी मिहिर का दूसरा रूप है। जून भगवान की पूजा करने के कारण ही ये जुन्बिल कहलाये।
तत्कालीन जुन्बिल साम्राज्य में जून का एक बेहद सुन्दर व बडा मन्दिर भी था जिसे बाद में अरब आक्रमणकारियो ने तोड दिया था। यह हूणो की वह शाखा थी जो जाबुलिस्तान में थी व इनकी एक शाखा ने गुर्जरदेश में जाबुलपुर यानी जालौर बसाया। 610 ई० से 710 ई० तक जुन्बिलो व अरब आक्रमणकारियो के बीच युद्ध चले । जुन्बिलो ने कई भीषण युद्धो में हराकर अरबो को भगाया मगर ईस्लामिक साम्राज्य की बढती ताकत धार्मिक उन्माद से हर बार आ रही थी ।
जुनबिल हूणो को आज इतिहास में भुला दिया गया है जो कि गुर्जरो के पराक्रम को कम करने का कुत्सित प्रयास है।
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