जै • कैम्पबैल ने गजेटियर मे लिखा है कि-----
"खजर" जोरजीयन थे, यह मान्यता अब भी है दक्षिणी आर्मिनियन पूर्व की ओर बढे थे । "आबू के पर्वत पर यज्ञ से जो चार अग्निकुंल वंशो को बोद्धो के विरुद्ध मदद करने के लिए शुध्द किये गये थे , वे "गुर्जर " थे ।
सन्दर्भ :---
1-- क्षत्रिय शाखाओ का इतिहास - देवी सिंह मण्डावा, पृष्ठ -- 29
2-- बाॅम्बे प्रेसीडेन्सी का गजेटियर - 161 X 1901 --Page - 476-483
"खजर" जोरजीयन थे, यह मान्यता अब भी है दक्षिणी आर्मिनियन पूर्व की ओर बढे थे । "आबू के पर्वत पर यज्ञ से जो चार अग्निकुंल वंशो को बोद्धो के विरुद्ध मदद करने के लिए शुध्द किये गये थे , वे "गुर्जर " थे ।
सन्दर्भ :---
1-- क्षत्रिय शाखाओ का इतिहास - देवी सिंह मण्डावा, पृष्ठ -- 29
2-- बाॅम्बे प्रेसीडेन्सी का गजेटियर - 161 X 1901 --Page - 476-483
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