पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God

पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God

पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण


पं बालकृष्ण गौड लिखते है कि जिसको कहते है रजपूति इतिहास
तेरहवीं सदी से पहले इसकी कही जिक्र तक नही है और कोई एक भी ऐसा शिलालेख दिखादो जिसमे रजपूत शब्द का नाम तक भी लिखा हो। लेकिन गुर्जर शब्द की भरमार है, अनेक शिलालेख तामपत्र है, अपार लेख है, काव्य, साहित्य, भग्न खन्डहरो मे गुर्जर संसकृति के सार गुंजते है ।अत: गुर्जर इतिहास को राजपूत इतिहास बनाने की ढेरो सफल-नाकाम कोशिशे कि गई।
पं बालकृष्ण गौड द्वारा गुर्जर शिलालेखो का विवरण | Description of Gurjar inscription by Pandit Balkrishna God 




• कर्नल जेम्स टोड कहते है कि राजपूताना कहलाने वाले इस विशाल रेतीले प्रदेश अर्थात राजस्थान में, पुराने जमाने में राजपूत जाति का कोई चिन्ह नहीं मिलता परंतु मुझे सिंह समान गर्जने वाले गुर्जरों के शिलालेख मिलते हैं।

• प्राचीन काल से राजस्थान व गुर्जरात का नाम गुर्जरात्रा (गुर्जरदेश, गुर्जराष्ट्र) था जो अंग्रेजी शासन मे गुर्जरदेश से बदलकर राजपूताना रखा गया ।

• कविवर बालकृष्ण शर्मा लिखते है :

चौहान पृथ्वीराज तुम क्यो सो गए बेखबर होकर ।
घर के जयचंदो के सर काट लेते सब्र खोकर ॥
माँ भारती के भाल पर ना दासता का दाग होता ।
संतति चौहान, गुर्जर ना छूपते यूँ मायूस होकर ॥

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