राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध मे इतिहास में कई मत प्रचलित हैं।
थोड़ा अध्ययन करने के बाद ये रजपूत शब्द हमें स्कंद पुराण में देखने को मिलता है जो कि इस प्रकार है-
शूद्रायां क्षत्रियादुग्रः क्रूरकर्मा प्रजायते।।४७।।
तया वृत्त्या स जीवेद्यो शूद्रधर्मा प्रजायते।।४८।।
रजपूत इति ख्यातो युद्धकर्मविशारदः।
~स्कन्दपुराण- आदिरहस्य सह्याद्रि खण्ड- व्यास देव व सनत्कुमार का संकर जाति विषयक संवाद नामक २६ वाँ अध्याय-श्लोक संख्या ४७,४८,४९
भावार्थ:-क्षत्रिय से शूद्र जाति की स्त्री में राजपूत उत्पन्न होता है यह भयानक, निर्दय , शस्त्रविद्या और रण में चतुर तथा शूद्र धर्म वाला होता है ;और शस्त्र वृत्ति से ही अपनी जीविका चलाता है ।
कुछ विद्वानों के अनुसार राजपूत क्षत्रिय शब्द का पर्यायवाची है...
लेकिन अमरकोष में राजपूत और क्षत्रिय शब्द को परस्पर पर्यायवाची नही बतलाया है;स्वयं देखें-
मूर्धाभिषिक्तो राजन्यो क्षत्रियो बाहुजो विराट्।
राजा राट् पार्थिवक्ष्मा भृन्नृपभूपमहीक्षित:।।
~अमरकोष
अर्थात:- मूर्धाभिषिक्त,राजन्य,बाहुज,क्षत्रिय,विराट्,राजा,राट्,पार्थिव,क्ष्माभृत्,नृप,भूप,और महिक्षित ये क्षत्रिय शब्द के पर्याय है।
इसमें 'राजपूत' शब्द या तदर्थक कोई अन्य शब्द नहीं आया है।
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