Sunday, 6 October 2024

Early History of India including Alexander's Compaigns

 इतिहास-विशारद स्मिथ साहब अपने Early History of India including Alexander's Compaigns, second edition,page no. 303 and 304 में लिखते हैं-

आगे दक्षिण की ओर से बहुत सी आदिम अनार्य जातियों ने भी हिन्दू बनकर यही सामाजिक उन्नति प्राप्त कर ली,जिसके प्रभाव से सूर्य और चंद्र के साथ सम्बन्ध जोड़ने वाली वंशावलियों से सुसज्जित होकर गोड़, भर,खरवार आदि क्रमशः चन्देल, राठौर,गहरवार तथा अन्य राजपूत जातियाँ बनकर निकल पड़े।
इसके अतिरिक्त स्मिथ साहब अपने The Oxford student's history of India, Eighth Edition, page number 91 and 92 में लिखते हैं-
उदाहरण के लिए अवध की प्रसिद्ध राजपूत जाति जैसों को लीजिये।ये भरों के समीपी सम्बन्धी अथवा अन्य इन्हीं की संतान हैं।आजकल इन भरों की प्रतिनिधि, अति ही नीची श्रेणी की एक बहुसंख्यक जाति है।
जस्टिस कैम्पबेल साहब ने लिखा है कि प्राचीन-काल की रीति-रिवाजों (आर्यों की) को मानने वाले जाट, नवीन हिन्दू-धर्म के रिवाजों को मानने पर राजपूत हैं। जाटों से राजपूत बने हैं न कि राजपूतों से जाट।
जबकि स्व० प्रसिद्ध इतिहासकार शूरवीर पँवार ने अपने एक शोध आलेख में गुर्जरों को राजपूतों का पूर्वज माना है।

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